अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गुरुवार को अगस्त 2008 के बाद से, और इस साल अप्रैल में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि के बाद साल-दर-साल की सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मुद्रास्फीति बढ़ने के अनुमान पर यूरोप से अमेरिका तक की बांड यील्ड में गिरावट रही, और सोना-चांदी की कीमते चमकती दिखाई दी है। आर्थिक राहत के प्रवाह से सोना-चांदी, निवेशक के बीच लोकप्रिय बना हुआ है।
गुरुवार को यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने विकास दर और मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है जिससे सोने -चांदी मे तेज़ी देखि गई। यूरोप और अमेरिकी केंद्रीय बैंको के अनुसार मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्थाओं के कोरोना महामारी से उबरने के कारण है। और वर्त्तमान परिस्तिथि के लिए राहत पैकेज जारी रहना आवश्यक है। जिससे लम्बी अवधि के लिए मुद्रास्फीति का डर कम होता है। पिछले सप्ताह घरेलु वायदा सोना 200 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 1000 रुपये प्रति किलो तक तेज़ हुई है। बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी से निवेशकों का भरोसा उठने लगा है जिसके कारण क्रिप्टो करेंसी मे बिकवाली का दबाव है और क्रिप्टो करेंसी के निवेशक सोने और चांदी की तरफ आकर्षित हो रहे है।
इस सप्ताह निवेशको को अमेरिका से जारी होने वाले महत्वपूर्ण आकड़ो पर नज़र रखना चाहिए जिनमे, मंगलवार को रिटेल सेल्स, पीपीआई, बुधवार को फ़ेडरल रिज़र्व बैंक की बैठक और गुरुवार को बेरोज़गारी दावे के आंकड़े प्रमुख है।
इस सप्ताह सोने और चांदी में तेज़ी रहने की सम्भावना है। सोने में 49750 रुपये पर प्रतिरोध तथा 48700 रुपये पर सपोर्ट है। चांदी में 73000 रुपये में प्रतिरोध और 70500 रुपये पर सपोर्ट है।
करीब एक महीने के सबसे तेज साप्ताहिक उछाल के साथ सराफा बाजार में सोने के भाव शुक्रवार को सीधे दूसरे दिन भी उंचाई पर पहुंच गए। बांड पैदावार में कमी, अमेरिकी डॉलर मे कमजोरी, और बिटकॉइन में -4% की ऊपरी स्तरों से गिरावट से कीमती धातुओं को फायदा हो रहा है।
कॉमेक्स में जून वायदा सोना गुरुवार को 1.8% की बढ़त के बाद शुक्रवार को 1% तक तेज़ हुआ और 1784 डॉलर प्रति औंस के स्तरों को छुआ। सप्ताह के लिए, सोना 1.8% तेज़ हुआ, जो कि 19 मार्च के बाद से इसकी सबसे बड़ी साप्ताहिक तेज़ी को दर्शाता है।
10-वर्षीय ट्रेजरी नोट 1.57% पर है, जो इसकी हालिया सीमा 1.60% और 1.75% के निचे है। सरकारी ऋण पैदावार में गिरावट से कीमती धातुओं के लिए निवेश की मांग बढ़ी है। इस बीच, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, शुक्रवार को -0.14% गिरकर 91.542 पर पहुंच गया है। डॉलर सप्ताह में 0.7% और अप्रैल में 1.8% टूटा है।
एक कमजोर डॉलर विदेशी खरीदारों को डॉलर में आंकी गई संपत्ति को अधिक आकर्षक बना सकता है। बाजार सहभागियों के मुताबिक चीन और रूस के साथ बढ़ते अमेरिकी तनाव ने कीमती धातु की सुरक्षा अपील को बढ़ावा देने में मदद की है। ताइवान पर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है, और बिडेन प्रशासन ने गुरुवार को कुछ रूसी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के हस्तक्षेप के प्रतिशोध में आंशिक रूप से दर्जनों लोगों और कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं मे तेज़ी रह सकती है। घरेलु वायदा सोने मे 47500 रुपये पर प्रतिरोध है और 46600 रुपये पर सपोर्ट है। चाँदी मे 70500 रुपये पर प्रतिरोध तथा 67800 रुपये पर सपोर्ट है।
सोने और चांदी की भाव निचले स्तरों से सुधार होने के बाद एक सकारात्मक सीमित दायरे में बने हुए है। डॉलर इंडेक्स दो सप्ताह के निचले स्तरों से पलट गया जिससे कीमती धातुओं के भाव अस्थिर हुए है। 10 वर्ष अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 14 महीने की ऊंचाई 1.7 प्रतिशत के स्तरों पर पहुंच गई है। बढ़ती हुई बॉन्ड यील्ड से गैरउपज वाली धातु सोने के भाव मे बढ़त सीमित हो गई है।
डॉलर को बढ़ती बॉन्ड यील्ड का सपोर्ट है जैसा सामान्य रूप से होता है, लेकिन यह मजबूत होती अमेरिकी आर्थिक स्थिति से भी प्रभावित है। अमेरिकी मुद्रास्फीति अभी अपने लक्ष्य 2 प्रतिशत के निचे चल रही है, अगर अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और मुद्रास्फीति नहीं बढ़ती है, तो यह सोने के लिए ख़राब संकेत है। अमेरिकी फ़ेडरल बैंक ने अपनी बैठक मे वर्त्तमान मौद्रिक निति को उचित ठहराया है।
फेड प्रमुख के भाषण के मुताबिक अमेरिकी ट्रेजरी की पैदावार तेजी से बढ़ी है क्योंकि नए वित्तीय सहायता में व्यापक टीकाकरण और 1.9 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता के बीच आर्थिक दृष्टिकोण में सुधार हुआ है। निवेशकों के बीच जल्द ब्याज दरे बढ़ने की अटकले रही लेकिन फेड ने यह स्पष्ट करते हुए 2023 तक ब्याज दरों मे कोई बढ़ोतरी नहीं करने के लिए कहा है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव दबाव मे रह सकते है। सोने मे 44000 रुपये के निचले स्तरों पर सपोर्ट है तथा 45500 रुपये पर प्रतिरोध है। चाँदी में 65800 रुपये पर सपोर्ट और 69000 रुपये पर प्रतिरोध है। किसी भी, समस्या, सुझाव, सहायता अथवा सहयोग हेतु यहाँ संपर्क करें
कीमती धातुओं के भाव मे मध्यवर्ती ट्रेंड की गिरावट जारी है। घरेलु वायदा मे सोने के भाव पिछले सप्ताह 1500 रुपय प्रति दस ग्राम तक टूट कर 44200 रुपय के निचले स्तरों को छू गए है।
चाँदी के भाव पिछले सप्ताह 3000 रुपय प्रति किलो तक टूट कर 65500 रुपय के स्तरों पर पहुंच चुके है। कॉमेक्स वायदा सोना और चाँदी मे पिछले सप्ताह क्रमशः 2.5 प्रतिशत तथा 4 प्रतिशत की गिरावट देखि गई है। डॉलर की तुलना मे रुपया 1.5 प्रतिशत तक सप्ताह मे मजबूत हुआ है।
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड मे लगातार चार महीनों से तेज़ी जारी है। पिछले सप्ताह 10 वर्षो की बॉन्ड यील्ड 1.58 प्रतिशत के ऊपरी स्तरों को छू गई है। सोने के विपरीत दिशा मे चलने वाला डॉलर इंडेक्स सप्ताह मे 1.5 प्रतिशत मजबूत हो कर चार महीने की उचाई पर पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक का ध्यान अब मुद्रास्फीति पर शिफ्ट होने लगा है। लेकिन, बढ़ती दरे और अर्थव्यवस्था मे सुधार सोने पर दबाव बना रही है।
इसी समय कोविड-19 टीकों के बड़े पैमाने पर लगने से वैश्विक सुधार की उम्मीद बढ़ी है जिससे निवेशकों को पारंपरिक सुरक्षित मांग से अन्य संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। कुछ निवेशक स्पष्ट रूप से बिटकॉइन और डिजिटल संपत्ति को सोने मे निवेश के विकल्प के रूप में देख रहे है।
फ़ेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल के बयान के बाद कीमती धातुओं मे गिरावट बढ़ गई, पॉवेल ने लंबी अवधि की यील्ड बढ़त पर किसी तरह का जोर नहीं दिया जिससे, इनमे बढ़त कायम रही। उन्होंने कहा कि वह वित्तीय स्थितियों की निगरानी कर रहे हैं और बाजारों की अव्यवस्थित चाल पर विचार कर रहे है।
भारतीय गहनों की मांग दो दशक के निचले स्तरों से बढ़ना शुरू हुई है, जिसमें सोने की कीमतें मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण स्तर 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे आ गई है, जिसने पिछले साल भारत मे खरीदारों को सोने से दूर रखा था। सोने के भाव सस्ते होने से, चीन में सोना अब लंदन की कीमतों से प्रीमियम पर है, जो मांग में सुधार का एक और संकेत है। विकासशील देशो की बढ़ती आय और सोने की खदानों मे घटता उत्पादन लंबी अवधि मे मांग बढ़ा सकता है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव मे बिकवाली का दबाव रह सकता है। सोने मे 43800 रुपय के निचले स्तरों पर सपोर्ट है तथा 45000 रुपय पर प्रतिरोध है। चाँदी के भाव मे भी मंदी रह सकती है। इसमें 64500 रुपय पर सपोर्ट और 67500 रुपय पर प्रतिरोध है।
कीमती धातुओं के भाव में पिछले सप्ताह लगातार गिरावट होती रही, लगभग तीन महीनों में इसका न्यूनतम स्तर और नवंबर 2020 के बाद से इसमे सबसे गहरी मंदी वाला सप्ताह रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी की पैदावार में लगातार होती बढ़त, सोने में निवेश की मांग कम कर रही है। अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व के डॉलर प्रिंटिंग प्रेस धीरे होने के संकेत से, 10 साल की अमेरिकी ट्रेजरी की पैदावार ऊपर की ओर बढ़ रही है, और यह एक साल के शिखर के करीब है।
आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने की सम्भावना है जिससे राहत पैकेज मे कमी की जा सकती है और कीमती धातुओं के भाव मे मंदी रह सकती है। डॉलर इंडेक्स में रुख तेज़ी का दिखाई पड़ता है। निवेशकों ने पिछले एक सप्ताह में अमेरिका के बेरोज़गारी दावों में अप्रत्याशित वृद्धि को पचाना जारी रखा है और कोवीड के नए मामले मे गिरावट, कीमती धातुओं के भाव मे दबाव बढ़ा रहे है।
इस बीच, गुरुवार को जारी स्विस कस्टम्स के आंकड़ों में कहा गया है कि भारत को मासिक सोने का निर्यात मई 2019 से अपने उच्चतम स्तर पर है, जबकि चीन और हांगकांग को निर्यात निचले स्तरों पर चल रहा है। पिछले सप्ताह घरेलु वायदा सोना 1400 रुपय टूट कर 46000 प्रति दस ग्राम के निचले स्तरों पर पहुंच गया है। चाँदी वायदा मे भी सप्ताह मे 1000 रुपय प्रति किलो तक की मंदी दर्ज की गई है और इसके भाव 68000 प्रति किलो के करीब रहे है।
घरेलु वायदा सोने मे कीमतें 50 दिन के साप्ताहिक औसत के नीचे आ चुकी है और 100 दिन का डेली औसत 200 दिन के डेली औसत के निचे पहुंच गई है जो सोने के भाव मे मंदी का संकेत देता है। सोने मे 47000 रुपय पर प्रतिरोध तथा 45500 पर सपोर्ट है। चाँदी मे 69500 रुपय पर प्रतिरोध और 67000 पर सपोर्ट है।
कीमती धातुओं के भाव मे निचले स्तरों से आया सुधार, सप्ताह के अंत तक नहीं टिक पाया और भाव मे बिकवाली का दबाव देखा गया। घरेलु वायदा सोना 48374 रुपय प्रति दस ग्राम के ऊपरी स्तरों को छूने के बाद 1000 रुपय टूट कर 47300 के स्तरों पर कारोबार किया। घरेलु वायदा चाँदी भी 70700 प्रति किलो के ऊपरी स्तरों को छूने के बाद, 2200 रुपय टूट कर 68500 रुपय पर पहुंच गई। हालांकि पिछले सप्ताह कीमतें सपाट रही है। डॉलर इंडेक्स में चार दिन की गिरावट के बाद गुरुवार को तेज़ी आई जिससे सोने में गिरावट रही।
सिल्वर इंस्टीट्यूट ने बुधवार को कहा कि चाँदी की वैश्विक मांग 2021 में बढ़कर 1.025 बिलियन औंस हो जाएगी, जो कि आठ साल में सबसे अधिक है, क्योंकि निवेशकों और उद्योग ने चाँदी की खरीद को बढ़ाया है। कोरोनोवायरस प्रकोप ने निवेशकों के बीच चाँदी के भंडार में तेजी ला दी है, जिसे सोने की तरह पारंपरिक रूप से धन संचय करने के लिए एक सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है।
सिल्वर इंस्टिट्यूट के मुताबिक बार और कॉइन की मांग 257 मिलियन औंस तक बढ़ने का अनुमान है। इंस्टिट्यूट ने औद्योगिक मांग मे पिछले साल की अपेक्षा 9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। लेकिन माइन से चाँदी की मांग की अपेक्षा आपूर्ति अधिक रहने का अनुमान भी है जिसमे सिल्वर ईटीएफ की मांग को शामिल नहीं किया है।
इस सप्ताह अप्रैल वायदा सोने के भाव सीमित दायरे मे रहने की संभावना है और इसमे 46700 रुपय के निचले स्तरों पर समर्थन तथा 47700 रुपय के ऊपरी स्तरों पर प्रतिरोध है। मार्च वायदा चाँदी के भाव मे हल्की तेज़ी रहने की सम्भावना है और इसमें 67000 रुपय पर समर्थन और 71000 रुपय पर प्रतिरोध है।
बुधवार को अमेरिका से जारी होने वाले रीटेल सेल्स और फ़ेडरल रिज़र्व की बैठक प्रमुख है।
Chana is a very important pulse crop and is mostly used in our daily life. It is also called as Bengal gram or chickpea and belongs to the Leguminosae family. They are highly rich in protein and carbohydrates and are placed third in among the main cultivation of food legumes around the world.
Also known as one of the most leading commodities in pulses, Chana are of mainly two types: Desi and Kabuli. It is generally cultivated into the areas having the relatively cooler climatic conditions with a low level of rainfall. As this crop is highly sensitive so the excess of water supply may hamper its yield, therefore, grown on sandy, loam soils having an appropriate drainage system.
Chana is one of the most important pulses crop domestically and internationally where India produces around 80-90 Lakh tonnes of Chana annually. The major producers in India are Madhya Pradesh, Rajasthan, Maharashtra, Karnataka, Uttar Pradesh and roughly contributing to around 87% of the total production. India is the major importer of Chana whereas Australia, Tanzania and Canada are the major exporters of it.
The world's total production of chickpeas hovers around 8.5 million metric tons annually and is grown over 10 million hectares of land approximately. The Desi type chickpea contributes to around 80% and the Kabuli type around 20% of the total production. The maturity period of desi type chickpea is 95-105 days and Kabuli type chickpea is 100-110 days. In India, it is harvested in February, March, and April. Countries in the Asian continent are the major importer of Desi-type chickpea and the remaining countries import Kabuli type chickpea.
डॉलर इंडेक्स मे लगातार निचले स्तरों से मजबूती होने के कारण सोने के साथ चाँदी के भाव भी टूट गए है। पिछले सप्ताह चाँदी के भाव सोशल मीडिया के कारण कॉमेक्स मे आठ साल की उचाई, 30 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गए थे जो अब घट कर 26 डॉलर प्रति औंस तक आ चुके है।
सोने और चाँदी के भाव मे बिकवाली के बीच अमेरिका से जारी होने वाले प्राइवेट जॉब्स और पैरोल के मासिक आकड़ों मे पिछले महीने की तुलना मे मजबूती दर्ज की गई और साप्ताहिक बेरोज़गारी दावे के आकड़ों मे कमी दर्ज की गई है जिससे कीमती धातुओं के भाव मे बिकवाली का दबाव बना है। डॉलर इंडेक्स सप्ताह मे 1 प्रतिशत मजबूत हो कर 2 महीनों के उच्चतम स्तरों पर है और 10 वर्षो की बांड यील्ड तीन सप्ताह के उच्चतम स्तरों पर है।
जिससे सोने और चाँदी के भाव मे बिकवाली का दबाव है। सीनेट में डेमोक्रेट सांसद राष्ट्रपति जो बिडेन के प्रस्तावित 1.9 ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज को पारित करने के लिए बड़े पैमाने पर वोट सत्र की तैयारी कर रहे हैं। बैंक ऑफ़ इंग्लैंड और भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति मे ब्याज दरों मे कोई बदलाव नही किया है और कुछ माह मे मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना जताई है। जिससे सप्ताह के अंत तक कीमती धातुओं के भाव को निचले स्तरों पर सपोर्ट मिला है।
पिछले सप्ताह कॉमेक्स वायदा सोना 2 प्रतिशत टुटा और चाँदी मे 0.50 प्रतिशत की गिरावट देखि गई है। घरेलु अप्रैल वायदा सोना कस्टम ड्यूटी घटने के कारण पिछले सप्ताह मे 4.5 प्रतिशत टुटा है जबकि मार्च वायदा चाँदी मे 2.5 प्रतिशत की साप्ताहिक गिरावट देखि गई है।
इस सप्ताह अप्रैल वायदा सोने के भाव मे ऊपरी स्तरों पर बिकवाली का दबाव रहने की संभावना है और इसमे 46200 रुपय के निचले स्तरों पर समर्थन तथा 48700 रुपय के ऊपरी स्तरों पर प्रतिरोध है। चाँदी मार्च वायदा के भाव मे भी ऊपरी स्तरों पर बिकवाली की सम्भावना है और इसमें 66000 रुपय पर समर्थन और 69000 रुपय पर प्रतिरोध है।
प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से जारी होने वाले आंकड़े जिनमे, बुधवार को अमेरिकी सीपीआई, फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल का भाषण, गुरुवार को बेरोज़गारी के दावों, से बाजार को आगामी दिशा के संकेत मिलेंगे और शुक्रवार से शुरू होने वाले चीनी न्यू ईयर का असर भी कीमती धातुओं के भाव मे दबाव बना सकता है।
चार सप्ताह से सीमित दायरे मे चल रहे अप्रैल वायदा सोने के भाव, बजट 2021 मे सीमा शुल्क कटौती होने से 49700 रुपय प्रति दस ग्राम से ऊपरी स्तरों से फिसल कर 47200 रुपय के निचले स्तरों तक पहुंच गए। सोने और चांदी मे सीमा शुक्ल 12.5 प्रतिशत से घटा कर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया और 2.5 प्रतिशत एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास उपकर एवं 10 प्रतिशत अधिभार जोड़ा गया है।
जिससे कीमती धातुओं मे पहले 12.5 प्रतिशत लगने वाला सीमा शुल्क घट कर 10.75 प्रतिशत रह गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे सिल्वर बार और सिक्के की हाज़िर मांग मजबूत होने और सिल्वर माइनिंग शेयर मे बढ़त के कारण कॉमेक्स वायदा चांदी मे तेज़ी देखि गई है। जिससे घरेलु मार्च वायदा चांदी मे शुल्क कटौती का हल्का प्रभाव देखा गया और सोने के भाव मे बिकवाली का दबाव रहा।
अंतराष्ट्रीय बाज़ारो मे सीमा शुल्क कटौती को सकारात्मक लिया गया है क्योकि भारत कीमती धातुओं का बड़ा आयातक है और भाव मे गिरावट से मांग मजबूत होने की सम्भावना बढ़ती है। कॉमेक्स वायदा सोने के भाव मे 15 डॉलर प्रति औंस की बढ़त दर्ज की गई और इसकी कीमते 1870 डॉलर के करीब रही है।
जबकि कॉमेक्स वायदा चांदी 9 प्रतिशत तेज़ होकर 29.5 डॉलर के स्तरों पर पहुंच गई है। घरेलु वायदा सोने मे बजट के दौरान 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और इसके भाव 48800 रुपय प्रति दस ग्राम के करीब रहे। घरेलु वायदा चांदी 5 प्रतिशत की तेज़ी होने के साथ इसके भाव 73500 रुपय प्रति किलो पर रहे।
सोने के भाव इस सप्ताह सीमित दायरे मे रह सकते है, इसमें 49900 रुपय पर प्रतिरोध और 47800 रुपय पर सपोर्ट है। मार्च वायदा चांदी के भाव मे इस सप्ताह तेज़ी रह सकती है और इसमें, 76000 रुपय पर प्रतिरोध तथा 71500 रुपय पर सपोर्ट है।
Soybean (Glycine max) is termed Golden Bean. The plant is classed as associate seed and is a vital international crop. The processed soybean is the largest supply of supermolecule feed and second-largest supply of edible fat within the world. The foremost portion of the worldwide and domestic crop is solvent-extracted with alkane to yield soy oil and procure Soymeal, which is widely employed in the animal feed trade.
Soybean has a very important place in the world's seed cultivation state of affairs, because of its high productivity, profitability and important contribution towards maintaining soil fertility. The crop additionally features an outstanding place as the world's most vital seed legume, that contributes 25% to the worldwide edible fat production, about 2/3rd of the world's protein concentrate for livestock feeding, and is a valuable ingredient in formulated feeds for poultry and fish.
About 85% of the world's soybeans are processed annually into soybean meal and oil. Of the oil fraction, 95% is consumed as edible oil; the rest is used for industrial products such as fatty acids, soaps and biodiesel.
Soybean seed is processed for Soymeal and Soy oil, both of these products are consumed throughout the country. A previously substantial part of Soymeal production gets exported but in the last two years exports reduced and domestic consumption increased.
India produces around 10 Mn tones of Soybean, while global production is around 340Mn tones. Among which the major producing countries are the USA, Brazil and Argentina whereas the major producing states are MP, Maharashtra and Rajasthan.
रॉयटर्स सर्वे के मुताबिक, ओपेक के कच्चे तेल के उत्पादन में जनवरी महीने में प्रति दिन 160,000 बैरल प्रति दिन की वृद्धि हुई है क्योंकि ओपेक और गठबंधन 2021 के पहले महीने में उत्पादन में कटौती को कम कर रहा है। ओपेक के स्रोतों के अनुसार ओपेक का उत्पादन जनवरी में औसत 25.75 मिलियन बैरल प्रति दिन रहा, दिसंबर से 160,000 बैरल प्रति दिन और लगातार सातवें महीने में कार्टेल ने अपना उत्पादन बढ़ाया है।
जबकि उत्पादन में बढ़त पिछले महीने में अधिकांश लीबिया से है, जिसे ओपेक गठबंधन मे कटौती से छूट दी गई है। जनवरी में उत्पादन में वृद्धि आश्चर्यजनक नहीं है क्योकि ओपेक गठबंधन ने जनवरी में उत्पादन में 500,000 बैरल प्रति दिन जोड़ने का फैसला किया था।
पूरे समूह के लिए 500,000 बैरल प्रति दिन के कोटे में से, ओपेक की बढ़ी हुई उत्पादन की हिस्सेदारी लगभग 300,000 बैरल प्रति दिन है। इसलिए, जनवरी में उत्पादन की सबसे बड़ी वृद्धि क्रमशः ओपेक के नंबर एक और नंबर दो उत्पादकों, सऊदी अरब और इराक से हुई है, क्योंकि उनका उत्पादन मे हिस्सा अधिक है।
जनवरी में ओपेक के उत्पादन में तीसरा सबसे बड़ा इज़ाफा ईरान से आया है, जो लीबिया की तरह ओपेक गठबंधन की कटौती से मुक्त है। कच्चे तेल की कीमतों मे मांग कम होने की सम्भावना और उत्पादन अधिक होने से ऊपरी स्तरों पर दबाव है और नए कोवीड-19 वायरस महामारी को लंबे समय तक जारी रख सकता है, जिससे मांग घट सकती है।
इस सप्ताह फ़रवरी वायदा कच्चे तेल की कीमतों मे ऊपरी स्तरों पर दबाव रहने की सम्भावना है। इसमें 4025 रुपय के ऊपरी स्तरों पर प्रतिरोध एवं 3650 रुपय के निचले स्तरों पर सपोर्ट है।
सोने और चाँदी के भाव मे ऊपरी स्तरों से आई गिरावट पिछले सप्ताह रुकी और कीमती धातुओं में बढ़त दर्ज की गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के द्वारा 1.9 बिलियन डॉलर के बिल का अनावरण और फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल द्वारा मौद्रिक निति को डोवीश रखने की बात से कीमती धातुओं मे निचले स्तरों पर सपोर्ट देखा गया। गुरुवार को राष्ट्रपति बिडेन ने "अमेरिकी सुरक्षा योजना " का अनावरण किया जिसमे सरकार के खर्चे और अन्य दी जाने वाली सहायता के बारे मे बताया जिससे कीमती धातुओं को सपोर्ट मिला। अमेरिका से जारी होने वाले बेरोज़गारी के साप्ताहिक आंकड़े अनुमान 7.95 लाख से बढ़कर 9.65 लाख पर पहुंच गए।
बेरोज़गारी और बदतर होते कोरोना वायरस आकड़ो के कारण रोज़गार बाजार मे कमजोरी आ रही है। फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल ने गुरुवार को कहा की जब तक मुद्रास्फीति अत्यधिक नहीं बढ़ जाती तब तक ब्याज दरे नहीं बढ़ाएंगे।पॉवेल के मुताबिक बांड खरीद योजना मे किसी भी तरह के बदलाव को पहले से ही आगाह कर दिया जाएगा। इस सप्ताह निवेशकों की नज़र अमेरिकी सीनेट पर रहेगी जिसमे पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प पर दूसरा दोषारोपण किया जायेगा।
इस सप्ताह फ़रवरी वायदा सोने के भाव मे तेज़ी रह सकती है और इसमे 48600 रुपय के निचले स्तरों पर समर्थन तथा 49600 रुपय के ऊपरी स्तरों पर प्रतिरोध है। चाँदी मार्च वायदा के भाव तेज़ रहने की सम्भावना है और इसमें 66000 रुपय पर समर्थन और 67000 रुपय पर प्रतिरोध है।
इस सप्ताह ग्लोबल अर्थव्यवस्था से जारी होने वाले प्रमुख आंकड़े जिनमे, सोमवार को चीन की तिमाही जीडीपी, बुधवार को राष्ट्रपति बिडेन का भाषण, गुरुवार को बेरोज़गारी के दावे और यूरोपियन सेंट्रल बैंक की प्रेस कांफ्रेंस तथा शुक्रवार को अमेरिकी फ़्लैश मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े प्रमुख है।
India is predominantly an agrarian economy, ranking second in farm production in the world. The contribution of agriculture to the GVA has decreased from 18.2% in 2014-15 to 16.5% in 2019-20.
While keeping pace with the increasing population, the growing agricultural production over the past several decades has thrown up major challenges in marketing, as well as supply, storage, and distribution. With highly fragmented markets and volatile commodity prices, it is a challenge to ensure a ‘fair’ and ‘remunerative’ price for the Indian farmer. Keeping these in mind, the government introduced several reforms. In all this, the strengthening of existing institutions in spot and derivative trade has become crucial as commodity markets do influence the lives of millions of stakeholders in the country’s diverse and large commodity ecosystem.
There is so many agri-commodities that are available for commodity trading whereas some of them are available on more than one platform. Majorly, KAPAS is the only commodity that is available for trading on both platforms i.e., NCDEX and MCX.
The National Commodity & Derivatives Exchange of India (NCDEX) is a nation-level, technology-driven online commodity Exchange with an independent Board of Directors and professional management. It is committed to providing a world-class commodity exchange platform for market participants to trade in a wide spectrum of commodity derivatives.
Multi Commodity Exchange of India Ltd (MCX) is an independent commodity exchange based in India. It was established in 2003 and is based in Mumbai. It is India's largest commodity derivatives exchange. It mainly provides a platform for trading in bullion, Base Metals and Energy.
NCDEX AGRIDEX is India’s first return-based agricultural futures index which tracks the performance of the ten liquid commodities traded on the NCDEX platform. The index represents the basket of ten commodities that are selected based on the liquidity on the exchange platform. The NCDEX AGRIDEX serves as a benchmark and one can replicate the performance of the underlying commodities.
Here's the corrected version of the product specifications for the mentioned agri-commodities:
And for the new product specifications:
NOTE: The expiry of every futures contract is on the 20th of the delivery month. If the 20th happens to be a holiday, a Saturday, or a Sunday then the due date shall be the immediate preceding trading day of the Exchange, which is not a Saturday.
वैश्विक बाजारों में, मजबूत अमेरिकी डॉलर और बढ़ती बॉन्ड उपज के बीच सोनाऔर चाँदी के भाव मे गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन, अमेरिका के आने वाले राष्ट्रपति जो बिडेन प्रशासन के तहत अतिरिक्त अमेरिकी राजकोषीय प्रोत्साहन की उम्मीद से कीमती धातुओं को सपोर्ट मिला हुआ है।
अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड 1% से ऊपर के स्तरों पर पहुंच गई है और डॉलर इंडेक्स मे निचले स्तरों से उछाल देखा गया है। एक मजबूत डॉलर अन्य मुद्राओं के धारकों के लिए सोने को अधिक महंगा बनाता है , जबकि उच्च बांड उपज गैर-ब्याज उपज वाले सोने को धारण करने की अवसर लागत को बढ़ाती है जिससे कीमती धातुओं के भाव मे गिरावट आई है।
अमेरिकी 10 साल की बॉन्ड यील्ड 1% को पार कर गई है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर आउटलुक के साथ-साथ उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में सुधार को दर्शाती है। वैक्सीन आने से भी सोने के भाव पर दबाव जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव मे जीत के बाद, जो बाईडन के पास अब कांग्रेस का पूर्ण नियंत्रण है साथ ही, अमेरिकी सीनेट मे भी अपनी पार्टी की जगह बना ली है।
फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ क्लीवलैंड के अध्यक्ष लोरेटा मेस्टर ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि बिडेन के तहत राजकोषीय प्रोत्साहन का अर्थ 2021 में मौद्रिक नीति पर नियंत्रण होगा। शिकागो के फेड अध्यक्ष चार्ल्स इवांस और अटलांटा के राफेल बेस्टिक सहित अन्य फेड अधिकारियों ने कहा है कि वर्ष 2021 के अंत से पहले केंद्रीय बैंक की चल रही परिसंपत्ति खरीद की गति को कम करने में समर्थन करना चाहिए और अर्थव्यवस्था को मजबूती से वापस बढ़ना चाहिए।
इस सप्ताह फ़रवरी वायदा सोने के भाव सीमित दायरे मे रह सकते है और इसमे 49600 रुपय के निचले स्तरों पर समर्थन तथा 51000 रुपय के ऊपरी स्तरों पर प्रतिरोध है। चाँदी मार्च वायदा के भाव सीमित दायरे मे रहने की सम्भावना है और इसमें 67000 रुपय पर समर्थन और 70000 रुपय पर प्रतिरोध है।
The commodity market plays a crucial role in the global economy, including India's, by enabling the trading of essential raw materials like oil, gold, wheat, and more. It is a market where buyers and sellers meet to exchange commodities at a certain price, much like the stock market. Commodities form the backbone of the global economy, and the commodity market serves as a vital platform for their trade. In this blog, we will explore the importance and significance of the commodity market in simple terms.
A commodity market is a place where raw materials or primary products, called commodities, are traded. These commodities are divided into two major categories:
Commodity markets allow producers, traders, and investors to buy and sell these products, often through contracts known as futures, which we'll explore further in this blog.
The commodity market is crucial for discovering the fair price of goods and services. Prices in the commodity market are determined by supply and demand. For example, if there’s a shortage of oil, its price goes up, and if there’s a surplus of wheat, its price may go down. This open and transparent pricing helps industries plan their production and helps consumers better understand market conditions.
Producers, traders, and investors use the commodity market to manage risk. Since commodity prices can be volatile (fluctuating based on various factors like weather, political events, or economic conditions), traders use futures contracts to lock in prices in advance.
A well-functioning commodity market contributes to the overall stability of the economy. It helps balance supply and demand, ensuring that resources are efficiently allocated. In India, where agriculture is a key part of the economy, the commodity market helps farmers secure fair prices for their crops, leading to greater economic stability in rural areas.
The commodity market significantly impacts the economy by supporting industries that rely on raw materials. For instance, industries like manufacturing, energy, and agriculture rely on the smooth functioning of the commodity market. These industries contribute to GDP growth, create jobs, and drive economic progress.
Apart from producers and buyers, the commodity market also attracts investors. People invest in commodities like gold, silver, or crude oil to diversify their portfolios and hedge against inflation. Commodities are seen as a safe investment, especially in times of economic uncertainty. Investing in commodities can provide stability when stock markets are volatile.
Commodities are traded internationally, and the commodity market helps facilitate global trade. Countries rich in natural resources, like oil or metals, can export them to countries that need them. This fosters international relationships and creates a flow of goods, services, and capital between countries.
Commodity prices can have a direct impact on inflation. For example, if crude oil prices increase, the cost of transportation, manufacturing, and goods increases, which leads to inflation. Conversely, when commodity prices drop, inflation may decrease as the cost of goods goes down. Governments and central banks often monitor commodity prices to gauge inflationary trends in the economy.
India has a long history of trading commodities, particularly agricultural goods. With a large population dependent on agriculture, the commodity market plays a significant role in stabilizing farmers' incomes and ensuring that consumers have access to essential products at fair prices.
India is one of the largest producers of agricultural products like wheat, rice, and cotton. The commodity market helps stabilize prices and allows farmers to manage risks by using futures contracts. This helps reduce uncertainty and ensures that farmers receive a fair price for their produce.
Gold and silver are some of the most traded commodities in India. Gold is not only seen as a symbol of wealth but also as a hedge against inflation and economic instability. Indians often invest in gold during times of financial uncertainty.
India is a major importer of crude oil, and the energy sector heavily depends on commodity markets to manage price fluctuations. The prices of petrol, diesel, and electricity are directly influenced by crude oil prices in the global commodity market.
Despite its importance, the commodity market faces several challenges:
The commodity market is expected to grow as more people become aware of its importance and potential. As India continues to modernize, the demand for commodities will increase, making it even more essential for producers and investors to utilize this market for price discovery, risk management, and economic stability.
Additionally, technological advancements such as digital trading platforms are making it easier for more participants to join the market. This is likely to improve market efficiency and accessibility.
The commodity market is an essential part of the economy, helping to balance supply and demand, manage price risks, and provide investment opportunities. It supports key industries like agriculture, manufacturing, and energy, while also influencing inflation and global trade. In India, the commodity market plays a critical role in stabilizing prices and promoting economic growth. Understanding how the commodity market works can help producers, investors, and consumers make more smart decisions, ultimately contributing to a more stable and prosperous economy.
सप्ताह के अंत मे डॉलर इंडेक्स मे निचले स्तरों से उछाल आने के कारण कीमती धातुओं मे ऊपरी स्तरों पर बिकवाली का दबाव बनता दिखा लेकिन सप्ताह मे सोना बढ़त के साथ बंद हुआ है। सोने के भाव सप्ताह मे 2 प्रतिशत तेज़ हुए जबकि चाँदी के भाव 0.5 प्रतिशत की मामुली गिरावट पर रहे है।
अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से जल्द ही तीसरा कोरोना वायरस राहत पैकेज आने की उम्मीद मे कीमती धातुओं के भाव को सपोर्ट मिला हुआ है। मुद्रास्फीति बढ़ने पर अधिक पैसा छापना हमेशा कीमती धातुओं की कीमतों को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख घटक रहा है।
फेडरल रिजर्व द्वारा महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था की मदद के लिए और अधिक बॉन्ड खरीदने के कदम, कीमती धातुओं के लिए सकारात्मक है। अमेरिका से राहत पैकेज मिलने की उम्मीद मे निवेशकों द्वारा कीमती धातुओं मे निवेश का रुझान बरक़रार है।
अमेरिकी फेडरल बैंक के प्रति माह कम से कम 80 बिलियन डॉलर और प्रति माह 40 बिलियन डॉलर की एजेंसी बंधक-समर्थित प्रतिभूति खरीदने के लिए फेड का निर्णय, अमेरिकियों को अधिकतम रोज़गार और अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने के लिए है। डॉलर इंडेक्स मे लगातार गिरावट जारी रहने से रुपय मे मजबूती बनी हुई है जिससे घरेलु वायदा बाजार मे सोने की कीमतों मे ऊपरी स्तरों पर दबाव देखा गया है।
कीमती धातुओं के फंडामेंटल मजबूत है लेकिन इस सप्ताह क्रिसमस हॉलिडे के चलते कीमतों मे ऊपरी स्तरों पर दबाव रह सकता है। कॉमेक्स वायदा सोने मे 1900 डॉलर पर प्रतिरोध है और 1850 डॉलर पर सपोर्ट है। फरवरी घरेलु वायदा सोने मे 50700 रुपय पर प्रतिरोध और 49000 रुपय पर सपोर्ट है। चाँदी मे भी ऊपरी स्तरों पर दबाव रहने सम्भावना है। और इसमें 67000 रुपय पर सपोर्ट तथा 68500 पर प्रतिरोध है।
अर्थव्यवस्था मे महामारी के कारण हो रहे उतर चढ़ाव के के साथ ही औद्योगिक धातुओं के भाव सात साल के उच्च स्तरों पर पहुंच गए है। पिछले सप्ताह एमसीएक्स दिसंबर वायदा कॉपर और निकल क्रमशः 1 प्रतिशत और 5 प्रतिशत तक तेज़ हुए है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता और पर्यावरण के अनुकूल कारों और ऊर्जा स्रोतों के लिए वैश्विक मांग बदल रही है, ऐसे में उपयोग की जाने वाली प्रमुख धातुओं के लिए बाजार में एक सवाल उठता हैं: क्या इन प्रमुख धातुओं की पर्याप्त आपूर्ति होगी। गुरुवार को चीनी स्टील मिलों की मांग के कारण निकल तेज़ हुआ है। कोवीड से उबरने के बाद दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक धातुओं के उपभोक्ता चीन मे, मिलो से कच्चे माल की मांग आने लगी है।
डॉलर इंडेक्स मे आई गिरावट औद्योगिक धातुओं की खरीद को सस्ता कर रहा है। कोरोना वायरस टीकों पर आने वाली सकारात्मक जानकारी वायरस द्वारा बनाई गई अनिश्चितता कम होती है। नवंबर के लिए चीन का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 52.1 तक बढ़ गया, जबकि बड़ी कंपनियों और राज्य के स्वामित्व वाले क्षेत्र के बाहर गति विधि का स्पष्ट चित्र देने वाला कैक्सिन मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 54.9 के दस साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
निर्माण सूचकांक विशेष रूप से मजबूत है, जो 59.8 से बढ़कर 60.5 हो गया है। कॉपर की कीमतें हमेशा अर्थव्यवस्था के स्वास्थ की तरफ संकेत करती है। चीनी नए साल के पहले चीनी मिलो द्वारा स्टॉक करने के कारण भी औद्योगिक धातुओं के भाव बढ़ रहे है। औद्योगिक धातुओं के भाव मे तेज़ी अर्थव्यवस्था मे विकास की संभावना को बढ़ाता है।
औद्योगिक धातुओं मे इस सप्ताह तेज़ी जारी रह सकती है। दिसंबर वायदा कॉपर मे 585 रुपय के निचले स्तरों पर सपोर्ट है तथा 608 रुपय पर प्रतिरोध है। निकल मे 1275 रुपय के निचले स्तरों पर सपोर्ट और 1313 रुपय पर प्रतिरोध है।
लगातार बिकवाली का दबाव झेल रहे कीमती धातुओं के भाव मे पिछले सप्ताह सुधार दर्ज किया गया। सोने के भाव 47600 रुपय प्रति दस ग्राम के निचले स्तरों से पलट गए और सप्ताह मे 1700 रुपय प्रति दस ग्राम से ज्यादा की तेज़ी देखि गई। घरेलु वायदा चाँदी के भाव भी 58880 रुपय प्रति किलो के निचले स्तरों से पलट गए और यह सप्ताह मे 4500 रुपय प्रति किलो तक तेज़ हुई। घरेलु बाजार मे शादियों के सीज़न के दौरान सोने के भाव भी कम हो गए थे जिससे मांग को सपोर्ट मिला और कीमती धातुओं के भाव मे वापस चमक लौट आई। ब्रिटैन द्वारा कोवीड के टिके को अप्रूवल देने के बाद भी सोने के भाव निचले स्तरों से बढ़ गए है।
निवेशकों को अमेरिका से मिलने वाले राहत पैकेज का इंतजार है जिसमे अभी तक अनिश्चिता बनी हुई है। 908 लाख करोड़ का द्विपक्षीय पार्टी के प्रस्ताव मे भी अनिश्चित होने से और 11 दिसंबर से होने वाले अवकाश के पहले निर्णय पर निवेशकों की नज़र रहेंगी जिससे सोने और चाँदी के भाव बढ़ रहे है। अमेरिकी कंपनी द्वारा निर्मित कोविड टिके पर भी इस सप्ताह होने वाली बैठक महत्वपूर्ण है।डॉलर सूचकांक मे 1.22 प्रतिशत की सप्ताह मे गिरावट दर्ज की गई है और यह ढाई साल के निचले स्तरों पर पहुंच गया है।
डॉलर मे गिरावट होने से अन्य मुद्रा के निवेशक कीमती धातुओं की तरफ आकर्षित हुए है। सोने में निवेश को राजकोषीय प्रोत्साहन योजनाओं के खिलाफ बचाव के रूप में देखा गया है जो मुद्रास्फीति को बढ़ाने के साथ ऋण और मुद्रा अवमूल्यन को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। अमेरिका से जारी होने वाले पैरोल के मासिक आंकड़े धीमी हुई अर्थव्यवस्था के कारण 6.1 लाख से घट कर 2.45 लाख पर पहुंच गए है जो कीमती धातुओं के भाव को सपोर्ट कर रहे है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव को नीचले स्तरों सपोर्ट मिल सकता है। फरवरी वायदा सोने मे 48500 रुपय पर सपोर्ट और 49700 रुपय पर प्रतिरोध है। चाँदी के भाव भी इस सप्ताह सकारात्मक रह सकते है और इसमें 62000 रुपय पर सपोर्ट तथा 66000 रुपय पर प्रतिरोध है।
सोने और चाँदी के भाव मे ऊपरी स्तरों पर दबाव लगातार बना हुआ है और अगस्त महीने के बाद से ही कीमती धातुओं के भाव मे गिरावट जारी है। सोने के भाव मे अत्यधिक तेज़ी होने के कारण हाज़िर की मांग कमजोर रही और दिसंबर वायदा की एक्सपायरी करीब है जिससे क़रीबारिओ के सौदे की कटान ज्यादा हुई है। अमेरिकी चुनाव के दौरान डॉलर इंडेक्स मे बने बिकवाली का दबाव कम हुआ है जिससे कीमती धातुओं से निवेशकों ने दुरी बना रखी है।
दुनिया की केंद्रीय बैंको द्वारा लगातार सोने मे की जा रही ख़रीददारी अब दस साल के निचले स्तरों पर आ चुकी है। कीमती धातुओं की खुदरा मांग, भाव अधिक होने से कम है। वैश्विक आर्थिक आकड़ों मे लगातार सुधार जारी है और डॉलर सुचकांक दो साल के निचले स्तरों पर होने से, इसकी मांग मजबूत होने के आसार है। स्विट्ज़रलैंड से एशिया के सोने का आयात गिर गया है और मई 2019 के बाद के महीने में भारत को अधिक निर्यात किया गया जबकि चीन को स्विट्ज़रलैंड सोने का निर्यात निचले स्तरों पर रहा है।
कोरोनोवायरस लॉकडाउन से मांग कम हो गई और स्विट्ज़रलैंड एशिया से सोना आयात करने के बजाय, अमेरिका और ब्रिटेन को निर्यात करने लगा है। वैक्सीन विकास पर प्रगति से आर्थिक सुधार में तेजी आएगी इस कारण बुलियन की सुरक्षित-हेवन अपील खत्म होती दिखाई दी है। मजबूत डॉलर और अमेरिकी आर्थिक प्रोत्साहन मे अनिश्चितता, सोने के भाव मे दबाव बना रही है और अमेरिकी ट्रेज़री सचिव मुचिन द्वारा कोवीड -19 राहत पैकेज के विपरीत जाते हुए फ़ेडरल रिज़र्व से महामारी मे इस्तेमाल कर्ज को लौटने के लिए कहा है। घरेलु वायदा सोना सप्ताह मे 2 प्रतिशत और चाँदी के भाव 4 प्रतिशत तक टूट गए है। घरेलु वायदा सोना 49800 रुपय प्रति दस ग्राम और कॉमेक्स वायदा सोना 1850 डॉलर प्रति औंस के निचले स्तरों को पिछले सप्ताह छू चुके है।
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