In contrast to the same period last year (Q2FY24), Bajaj Auto's Q2FY25 financial results demonstrate consistent increase across key measures. Here is a brief summary of the figures:
Q2FY25: ₹2,005 crore
Q2FY24: ₹1,836 crore
Estimates: ₹2,228 crore
Despite falling short of the estimated ₹2,228 crore, Bajaj Auto’s net profit rose by 9.2% compared to last year.
Q2FY25: ₹13,127 crore
Q2FY24: ₹10,777 crore
Estimates: ₹13,270 crore
Bajaj Auto achieved a significant 21.8% growth in revenue compared to Q2FY24, though it came slightly below the estimated ₹13,270 crore.
Q2FY25: ₹2,652 crore
Q2FY24: ₹2,133 crore
Estimates: ₹2,704 crore
EBITDA grew by 24.3% year-over-year but was marginally lower than the forecast of ₹2,704 crore.
Q2FY25: 20.2%
Q2FY24: 19.8%
Estimates: 20.4%
The EBITDA margin has shown improvement, increasing to 20.2%, close to the market estimate of 20.4%.
Overall, Bajaj Auto's financial performance in Q2FY25 demonstrates consistent growth in revenue, profitability, and margins compared to the previous year. However, it fell slightly short of analysts' estimates in all categories. This update reflects a robust performance for the company despite minor shortfalls in hitting projected targets.
Source: CNBC
भारत में सोने पर बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है जिससे पिछले सप्ताह घरेलु वायदा बाजार में सोने के भाव, सप्ताह भर गिरावट रहने के बावजूद 3 प्रतिशत बढ़ गए। जबकि कॉमेक्स में सोने के भाव 1800 डॉलर के निचले स्तरों को तोड़ चुके है और सप्ताह में कीमते 2 प्रतिशत टूट कर 1794 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई है।
अमेरिकी बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड 3 प्रतिशत पर है जबकि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में मजबूती बने रहने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने के भाव में दबाव बना हुआ है। भारत में 5 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने से कीमते सप्ताह में 2.5 प्रतिशत तेज़ हो कर 51800 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तरों पर रही। औद्योगिक मांग घटने से चांदी के भाव कॉमेक्स में पिछले सप्ताह 6 प्रतिशत टूट कर 19.73 डॉलर पर रहे जबकि घरेलु बाजार में सितम्बर वायदा चांदी के भाव सप्ताह में 3 प्रतिशत टूटे कर 58000 प्रति किलो के निचले स्तरों पर है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का व्यापार घाटा सालाना 6.53 अरब डॉलर से बढ़कर 24.29 अरब डॉलर हो गया है। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 44.69 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 21.82 अरब डॉलर था।
बढ़ते व्यापार घाटे और विदेशी फंडों के निरंतर देश से बहार जाने के कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 79 के निचले स्तरों पर लुढ़क गया है। भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है जिसका व्यापार घाटे में बड़ा हिस्सा है। मई 2021 में 677 मिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले, सोने का आयात बढ़कर 6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारत में सोने का आधिकारिक आयात मई में 98 टन पर रहा, जो इस साल अप्रैल में 27 टन और मई 2021 में 11.4 टन पर था।
इस सप्ताह अमेरिका से जारी होने वाले, फेड मीटिंग मिनट्स, एडीपी नॉन फार्म एम्प्लॉयमेंट चेंज और पैरोल के आंकड़े कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
अगस्त वायदा सोने की कीमतों में 50000 रुपये पर सपोर्ट है और 52200 रुपये पर प्रतिरोध है। सितम्बर वायदा चांदी में 56000 रुपये पर सपोर्ट और 60000 रुपये पर प्रतिरोध है।
कीमती धातुओं के भाव में लगातार दूसरे सप्ताह भी गिरावट रही। सोने और चांदी के भाव में दबाव, अमेरिकी फेड द्वारा बड़ी ब्याज दर बढ़ोतरी की सम्भावना के चलते बना हुआ है।
पिछले सप्ताह फेड प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा कि केंद्रीय बैंक की मुद्रास्फीति पर लड़ाई "बिना शर्त" है और इसको नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे साथ ही कहा की 1 प्रतिशत ब्याज दर वृद्धि की संभावना पर भी विचार करेंगे।अमेरिकी डॉलर स्थिर बना हुआ है, और उम्मीदें अब जुलाई में 75-आधार-अंकों की बढ़ोतरी की ओर झुकी हुई हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से दुनिया भर में सख्त केंद्रीय बैंक नीतियों के प्रभाव से निवेशक सतर्क है।
सोने के भाव 51300 रुपये से लेकर 50100 रुपये प्रति दस ग्राम के सीमित दायरे में बने हुए है। जबकि औद्योगिक धातुओं में बिकवाली का दबाव रहने के कारण चांदी में भी बिकवाली का दबाव बढ़ गया है। तेज़ी से बढ़ती हुई ब्याज दरों में वृद्धि आर्थिक मंदी की चिंताओं को बढ़ा रही है जिससे दुनिया भर के शेयर बाज़ारो में दबाव बना हुआ है। निवेशक सुरक्षित निवेश के अन्य विकल्प जैसे डॉलर की और रुख कर रहे है। पिछले सप्ताह अमेरिका, यूरोप और जापान से जारी फ़्लैश मैन्युफैक्चरिंग के आंकड़े अनुमान से कमजोर रहे जो आर्थिक मंदी का संकेत देते है।
अगस्त वायदा सोने की कीमतों में 50000 रुपये पर सपोर्ट है और 51500 रुपये पर प्रतिरोध है। जुलाई वायदा चांदी में 58000 रुपये पर सपोर्ट और 62000 रुपये पर प्रतिरोध है।
Bulls look for relief rally amid cool-off in energy prices
It was a brutal sell-off at Dalal street last week where headline indices Nifty and Sensex lost more than 5% with a break of key support levels. Weak global cues, a sharp rate hike in the USA, and aggressive selling by FIIs were key reasons for last week's turmoil.
The market has no major cues this week but bulls will look for a relief rally after a sharp fall in energy prices over the weekend. The brent crude oil prices have dipped to the $113 level after hitting a high of $125 per barrel. However, relentless selling by FIIs is a key concern for the Indian markets, where last week they sold more than 23000cr in the cash market. On the global front, the market has an eye on the Russia-Ukraine situation as there is some hope for any peace agreement. On the domestic front, the rupee movement and the development of the monsoon will be other important factors for the market.
Technically, Nifty has surrendered key support of the 15700 level and there is a risk of further downside, where 15000 is a key psychological support level then 14500 is the next major support therefore 15000-14500 is a key demand zone where we can expect a bottom formation. However, On Friday's trading session, Nifty formed a Doji candlestick formation followed by a sharp sell-off therefore low of the Doji candle, which is placed at the 15183 level, will act as an immediate support level. On the upside, 15500/15700 are immediate and critical resistance levels.
Banknifty has slipped below the psychological level of 33000 however 32250-32000 is an immediate and critical demand zone where we can expect a bounce back; below this, 30500 will be the next support level. On the upside, if 33000 is an immediate hurdle then 33750-34000 is the next supply zone.
If we look at the derivative data, then the long exposure of FIIs in the index future is a multi-year low of 13% whereas the put-call ratio is sitting at 0.75 level, therefore, the overall market looks oversold.
Inflation is spooking market sentiments ahead of the FOMC meeting
Bulls had a dreadful weekend after the US inflation figures hits a 40-year high, leaving US markets in a tizzy on Friday. The US FOMC's decision is due on 15th June and the market is fearing aggressive rate hikes amid the inflation monster. Bank of Japan will also announce its credit policy next week on 17th June. It will be salient to watch the behavior of FIIs' amid the panic in global equity markets as they have been selling relentlessly for the past 8 months.
On the domestic front, our CPI inflation will be announced on 13th June and WPI will be announced on 14th June.
Apart from this, movement of rupee and crude oil will be other important factors.
Nifty has slipped below its 20-DMA, raising concerns for a fresh round of selling where 16050 is the immediate support level while 15900-15700 is the critical support area. On the upside, 20-DMA of 16300 will act as an immediate hurdle while 16500 is the next major hurdle.
Bank nifty has also slipped below its 20-DMA which could lead to further selling pressure where 33800 is the immediate support level while 33000-32500 will be the critical support zone. On the upside, 20-DMA of 34800 will act as an immediate hurdle.
If we talk about derivative data, FII's long exposure to index futures has come down to 21% which is extremely oversold zone while PCR is also trading at oversold level of 0.88. An oversold market is only a hope for the bulls, although the market may remain oversold for a long time.
पिछले सप्ताह के शुरुवात में सोने और चांदी के भाव में दबाव रहा लेकिन अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में अनुमान से अधिक वृद्धि करने से कीमतों में निचले स्तरों से सुधार दर्ज किया गया। यूएस फेडरल रिजर्व (फेड) ने बुधवार को 1994 के बाद से अपनी उच्चतम ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।
ब्याज दरों को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 1.75 प्रतिशत कर दिया है जबकि अनुमान 1.5 प्रतिशत तक वृद्धि का था। अमेरिका में मुद्रास्फीति 41 साल की उचाई पर पहुंच गई है जिसके कारण फेड की चिंता बढ़ गई है। इस महगाई को नियंत्रित करने के लिए फेड द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि और बैलेंस शीट कटौती का रुख अपनाया गया है।
आक्रामक मौद्रिक नीति का असर अमेरिका से जारी होने वाले आर्थिक आकड़ो में दिखाई देने लगा है और आर्थिक मंदी की सम्भावना बढ़ने लगी है जिससे सोने और चांदी की कीमतों को निचले स्तरों पर सपोर्ट है।
स्विस नेशनल बैंक ने भी गुरुवार को अप्रत्याशित रूप से दरों में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की, जबकि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अपनी ब्याज दरों को बढ़ाकर 1.25 प्रतिशत कर दिया। बैंक ऑफ जापान ने शुक्रवार को बढ़ती मुद्रास्फीति के बावजूद नीति को सरल रखने का फैसला किया, जबकि वैश्विक केंद्रीय बैंक सख्त मौद्रिक नीतियां अपना रहे हैं।
घरेलु वायदा बाज़ार में सोना 1 प्रतिशत और चांदी में 0.40 प्रतिशत की गिरावट रही। यूएस डॉलर इंडेक्स और यूएस बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड में भी ऊपरी स्तरों पर दबाव रहा। हालांकि, सोने की कीमते निचले स्तरों से सुधर कर 51100 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी के भाव 61700 रुपये प्रति किलो पर कारोबार करते दिखे।
सोने और चांदी के भाव में इस सप्ताह दबाव में रह सकते है। सोने में 50000 रुपये पर सपोर्ट है और 52000 पर प्रतिरोध है। चांदी में 58000 रुपये पर सपोर्ट और 63000 रुपये पर प्रतिरोध है।
Gold is a commodity and it can be traded as a commodity. As with any commodity, it's possible to trade futures contracts on gold. These are called paper gold because they only represent the value of the physical gold that is delivered at maturity.
The seller of such a contract is obliged to deliver the physical metal when the contract matures, while the buyer has to pay for it in advance.
If you buy a futures contract on gold today and hold onto it until maturity, you'll get the physical metal when you need it. If you don't have any use for physical gold but still want to benefit from its price movements, paper gold can be an alternative for you.
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If you want to buy gold then it is very important that you understand the difference between physical gold and paper gold.
Physical gold is the actual metal that is bought from dealers. This will be stored in a vault by the dealer and can also be kept at home.
It is advisable to keep gold at home rather than leaving it with the dealer as there have been instances where dealers have been robbed by thieves or even customers who have turned out to be fraudsters.
Paper gold on the other hand is paper certificates that represent physical gold. They are like money in terms of their use but are not actually real money but instead represent an amount of physical gold held by an issuer.
There are many types of paper certificates such as exchange traded funds (ETFs), futures contracts and options contracts but each one works slightly differently from another type of certificate so it is important that you understand how they work before you invest your money in them.
The answer to the above question is a big YES.
Paper gold has been around for a long time and is widely accepted by investors as a safe way of investing in gold. There are several reasons why paper gold is considered one of the most secure ways to invest in gold. The following are some of these reasons:
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2) Paper gold can be traded as easily as stocks or bonds on stock exchanges like NSE, MCX etc, and this makes it easy for investors to buy and sell their investments whenever they want.
3) Investors can use paper gold as collateral against loans from banks or other financial institutions if they need money urgently or need some extra cash flow for their business operations. This gives them more control over their finances and helps them avoid losing all their investment if things go wrong.
Most investors choose one or another type of gold investment based on their preferences. Some people prefer the ease and convenience of holding paper assets instead of actual bars and coins. Others want the security that comes with having physical assets under their control. If you want safety and convenience, then paper assets are probably better suited to your needs than physical ones.
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