अमेरिकी मुद्रास्फीति कम होने के संकेतों के बाद सोने की कीमतों में लगातार चौथे सत्र में तेजी दर्ज की गई है, जबकि 2023 की मंदी की लगातार आशंका ने भी कीमती धातुओं की सुरक्षित आश्रय मांग को सपोर्ट किया है। हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी गति का असर चीन के आकड़ो में दिखाई दिया है जिससे बाजार में डिमांड की चिंताए बढ़ने लगी है। पिछले सप्ताह चीन से जारी मुद्रास्फीति के आंकड़े अनुमान से कम रहे जिससे चीन की अर्थव्यवस्था को नए आर्थिक पैकेज मिलने की उम्मीद बढ़ गई है, और कीमती धातुओं के भाव को सपोर्ट मिल रहा है। अमेरिका से जारी मुद्रास्फीति के आंकड़े मार्च में साल -दर -साल 1 प्रतिशत घट कर 5 प्रतिशत रह गए है। पीपीआई और बेरोज़गारी के दावे के आंकड़े भी उम्मीद से कमजोर दर्ज किये गए है, जिससे आर्थिक मंदी की सम्भावना को बढ़ावा मिल रहा है और कीमती धातुओं के भाव में तेज़ी बनी हुई है। एफओएमसी मीटिंग के मिनट्स में बैंकिंग संकट के चलते इस साल के अंत तक आर्थिक मंदी आने और उससे अगले दो साल तक उसका प्रभाव रहने की सम्भावना व्यक्त की है। हांलाकि, फेड ऑफिशल्स अभी भी 0.25 प्रतिशत ब्याज दर वृद्धि के पक्ष में है क्योकि मुद्रास्फीति अभी भी उच्च स्तरों पर चल रही है। अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी के अनुमान और फेड का मौद्रिक नीति पर नरम रुख से डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड में गिरावट जारी है जिससे सोने की कीमतों को फायदा मिल रहा है।
तकनिकी विश्लेषण
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रहने की सम्भावना है। सोने में सपोर्ट 60000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 61800 रुपये पर है। चांदी में सपोर्ट 74000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 78000 रुपये पर है।