तेज़ी से बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के बीच सोने और चांदी के भाव में ऊपरी स्तरों पर बिकवाली का दबाव बना हुआ है। सोने के भाव के लिए पिछला सप्ताह पांच महीनों में सबसे मंदी वाला साबित हुआ है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने की उम्मीद से अधिक बांड टेपरिंग और ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी करेगा। पिछले सप्ताह रिज़र्व बैंक ऑफ़ न्यूज़ीलैण्ड ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। और प्रमुख केंद्रीय बैंक द्वारा भी मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए कदम उठाने की सम्भावना बढ़ने लगी है जिसके कारण सोने और चांदी के भाव में बिकवाली का दबाव बना है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और चीन द्वारा अपने तेल भंडार से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने पर सहमत हुए है। जिसका असर कच्चे तेल के भाव में पिछले सप्ताह आई गिरावट पर दिखा है जो कीमती धातुओं में दबाव बना रहा है। इन अटकलों के बीच के अमेरिकी फेड बांड टेपरिंग को 15 बिलियन से बढ़ा कर 30 बिलियन तक कर सकता है और ब्याज दरों में वृद्धि अनुमान से पहले हो सकती है, सोने और चांदी के भाव ऊपरी स्तरों से टूट गए। हालांकि, यूरोप में कोवीड -19 की चौथी लहर आने की खबर और कोरोना के नए संस्करण से सोने के भाव में निचले स्तरों पर सपोर्ट रहा है। घरेलु वायदा सोने में पिछले सप्ताह ₹1600 प्रति दस ग्राम की गिरावट देखी गई जबकि सप्ताह के अंत तक कीमतों में निचले स्तरों से सुधार हुआ और भाव ₹48100 प्रति दस ग्राम के करीब रहे। चांदी के भाव पिछले सप्ताह में ₹3200 तक टूटे और भाव ₹63400 प्रति किलो पर रहे।
इस सप्ताह मंगलवार को अमेरिकी फेड चेयर जेरोम पॉवेल का भाषण, बुधवार को एडीपी नॉन फॉर्म एम्प्लॉयमेंट चेंज, आइएसएम मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई, गुरुवार को ओपेक-गैर ओपेक देशो की बैठक और शुक्रवार को पैरोल के आंकड़े प्रमुख है।
तकनीकी विश्लेषण
इस सप्ताह सोने और चांदी के भाव में अस्थिरता के साथ दबाव रह सकता है। दिसंबर वायदा सोने में 46800 रुपए पर सपोर्ट और 49000 रुपए पर प्रतिरोध है। चांदी में ₹61800 पर सपोर्ट और ₹65000 पर प्रतिरोध है।