अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त नीतियों के कारण डॉलर के मजबूत होने से सोने और चांदी के भाव तीन महीने के निचले स्तर के करीब आ गए है। डॉलर 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। निवेशक मंदी को लेकर चिंतित हैं इसलिए मुद्रा को बढ़ावा देने वाली नीतियों को अपना रहे है जिससे कीमती धातुओं के साथ शेयर बाज़ारो में भी गिरावट देखी गई है।
फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने स्थिर कीमतों को अर्थव्यवस्था का "आधार" बताया है, साथ ही गुरुवार को हुई स्पीच में कहा कि मुद्रास्फीति को शांत करने के लिए केंद्रीय बैंक की लड़ाई में "कुछ दर्द शामिल रहेगा" क्योंकि उच्च ब्याज दरे सभी को प्रभावित कर सकती है। उनके मुताबिक मुद्रास्फीति का लगातार बढ़ना, ब्याज दर में वृद्धि से ज्यादा घातक होगा।
आर्थिक आकड़ो में, गुरुवार को जारी अमेरिकी मुद्रास्फीति अनुमान से बढ़कर 8.3 प्रतिशत रही जबकि चीन में भी मुद्रास्फीति और पीपीआई के आकड़ो में बढ़ोतरी रही है। भारत में मुद्रास्फीति साल-दर-साल अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई है जो पिछले माह 6.95 प्रतिशत पर थी। कीमतों में लगातार बढ़ोतरी प्रमुख केंद्रीय बैंको पर ब्याज दर वृद्धि का दबाव बढ़ा रहा है।
हालांकि, गुरुवार को जारी अमेरिकी प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (पीपीआई) ने अप्रैल में महीने-दर-महीने 0.5 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई, जो मार्च में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में धीमी है, लेकिन ऊर्जा उत्पादों की बढ़ती लागत का दबाव थोड़ा कम रहने से पीपीआई आकड़ो में कमी दर्ज की गई है। बढ़ती हुई मुद्रास्फीति का मुख्य कारण महामारी और युद्ध है। फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने जून और जुलाई में 0.50 प्रतिशत की ब्याज दर वृद्धि के संकेत दिए है।
जिससे सोने और चांदी की कीमतों में लगातार दबाव बना हुआ है। घरेलु वायदा सोने के भाव पिछले सप्ताह 2.5 प्रतिशत और चांदी के भाव 6 प्रतिशत टूट गए है। जिससे सोना 50000 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 58800 रूपये प्रति किलो के निचले स्तरों पर कारोबार कर रही है।
तकनीकी विश्लेषण:
सोने और चांदी के भाव में इस सप्ताह फेड चेयर जेरोम पॉवेल के बयान होने से, भाव दबाव में रह सकते है। सोने में 49500 रुपये पर सपोर्ट है और 51000 पर प्रतिरोध है। चांदी में 56000 रुपये पर सपोर्ट और 60500 रुपये पर प्रतिरोध है।