प्रमुख केंद्रीय बैंको द्वारा कठोर मौद्रिक नीति को लगातार बनाये रखने की सम्भावना के चलते कीमती धातुओं में पिछले सप्ताह बिकवाली का दबाव रहा। पिछले तीन सप्ताह में सोना अपने उच्चतम स्तर से 3000 रुपए प्रति दस ग्राम और चांदी हाल के उच्च स्तरों से 8000 रुपए प्रति किलो तक सस्ती हो चुकी है। अमेरिका से जारी मुद्रास्फीति के आंकड़ों में कीमती धातुओं के भाव के लिए मिश्रित रुझान रहा जिसने अर्थव्यवस्था और मौद्रिक नीति के मार्ग पर कुछ अनिश्चितता पैदा कर दी है, साथ ही अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में भी बढ़त देखने को मिली है। जनवरी माह के लिए अमेरिका के वार्षिक मुद्रास्फीति के आंकड़े पिछले माह की तुलना में कम रहे जबकि मासिक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत के थोक और खुदरा मुद्रास्फीति के आकड़ो में भी साल-दर-साल बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मुद्रास्फीति के आकड़ो के बाद निवेशक प्रतीक्षा में है कि फेडरल रिजर्व डेटा पर कैसे प्रतिक्रिया करेगा, यह ध्यान रखते हुए कि फेड ने मुद्रास्फीति के खिलाफ बड़े पैमाने पर बयानबाजी की है। मुद्रास्फीति एक स्तर पर स्थिर बनी हुई है जिससे फेड के निकट भविष्य के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी रहने की संभावना है। लेकिन, ब्याज दरों में आगे भी बढ़ोतरी इनवर्टेड यील्ड कर्व के अंतर को बढ़ा सकता है जो आर्थिक मंदी की और संकेत पहले से दे रहा है, जिससे कीमती धातुओं में गिरावट सीमित रह सकती है। पिछले सप्ताह अमेरिकी पीपीआई और बेरोजगारी दावों के आंकड़े उम्मीद से बेहतर आने से कीमती धातुओं पर बिकवाली का दबाव बढ़ता दिखा। हालांकि, फिली फेड मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स कमजोर बना रहा, जो अमेरिका में धीमी विनिर्माण गतिविधि का संकेत देता है, जिसने बुलियन की कीमतों को निचले स्तर पर समर्थन दिया। निकट भविष्य में कीमती धातुओं में गिरावट का रुझान रह सकता है क्योंकि निवेशक आगे कठोर मौद्रिक नीति की उम्मीद कर रहे हैं।इस सप्ताह फेड बैठक के मिनट्स और अमेरिका की जीडीपी के आंकड़े कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
तकनिकी विश्लेषण:
इस सप्ताह कीमती धातुओं में बिकवाली का दबाव बने रहने की सम्भावना है। सोने में सपोर्ट 55400 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 56700 रुपये पर है। चांदी में सपोर्ट 63000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 66500 रुपये पर है।