शेयर बाजार और स्थाई आय वाली प्रतिभूतियों के परंपरागत निवेश से अलग सोने और चांदी में लम्बी अवधि का निवेश बढ़ने लगा है। प्राकृतिक आपदा, महामारी, युद्ध, रजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता को टाला नहीं जा सकता, इन्ही परिस्थितियों के बीच अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए सोने और चांदी में निवेश आवश्यक हो जाता है।
वर्तमान में देश की वार्षिक खपत सोना 800-1000 टन, और चांदी 6500-7000 टन है। पिछले 3 साल में सोना 56 प्रतिशत और चांदी 72 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। ई - सोना और चांदी में निवेश सीधे तौर पर अब संभव हो चुका है।
कुछ साल पहले तक, सोने और चांदी के वायदा अनुबंध व्यापार करने के लिए एक्सचेंज में थे जिसके कारण लम्बी अवधि में निवेश के लिए भौतिक तौर पर सोने और चांदी को खरीदना होता था जिनको घरो में रखना जोखिम भरा हो सकता है।
वर्तमान में भारत की सभी एक्सचेंज (एमसीएक्स, एनएसई और बीएसई ) सोने और चांदी के वायदा की डिलीवरी देती है जिसको नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम या मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में कॉमरिस है, जो डीमैट खाते की तरह होते है। सभी एक्सचेंज लंदन बुलियन मार्किट एसोसिएशन से स्वीकृत सोने-चांदी की डिलीवरी उपलब्ध करवा रही है। बात जब लम्बी अवधि की है तो छोटा लाभ भी महत्वपूर्ण होता है।
सोने और चांदी के एटीएफ की तुलना में सीधे तौर पर एक्सचेंज में ली गई डिलीवरी का लाभ अधिक होता है क्योकि इसमें मैनेजमेंट फीस नहीं होती है और ईटीएफ का रिटर्न मैनेजमेंट की योग्यता पर निर्भर करता है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोने और चांदी की डिलीवरी 1 ग्राम सोना और 1 किलो चांदी से लेकर एक किलो सोना और 30 किलो चांदी के बड़ी इकाई में भी संभव है। सोने और चांदी में लंबी अवधि के रिटर्न की तुलना में डीमैट के रूप में डिलीवरी के खर्चे बहुत छोटे है।
एमसीएक्स में सोने की सबसे छोटी इकाई की डिलीवरी, गोल्ड पेटल (1 ग्राम ) और गोल्ड गुन्नी (8 ग्राम ) पर स्टोरेज चार्जेस लगभग 36 रुपये सालाना ,ट्रांसेक्शन चार्जेस 300 रुपये तक और 100 रुपये प्रति ग्राम मेकिंग चार्जेस के साथ जीएसटी 3 प्रतिशत होता है। * चार्जेस में लगभग