प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की केंद्रीय बैंको द्वारा कठोर मौद्रिक निति का रुख कीमती धातुओं पर दबाव बनाने लगा है। यूरोप की कई सेंट्रल बैंक और फेड द्वारा उम्मीद से अधिक ब्याज दरों में बढ़ोतरी, कीमती धातुओं में बिकवाली का दबाओ बनाये हुए है। ब्याज दरों में अधिक बढ़ोतरी का असर औद्योगिक धातुओं और कच्चे तेल के भाव में दिख रहा है, जिसके चलते इनकी कीमतों में भी बुलियन के साथ दबाव बना हुआ है। हालांकि, बाज़ारो में तरलता कम होने के कारण डिमांड की चिंता सेफ हैवन अपील बढ़ती है जो बढ़ती ब्याज दरों की परिस्थिति में बुलियन की जगह डॉलर को आकर्षित बना रही है। पिछले सप्ताह बैंक ऑफ़ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की वृद्धि की जो पूर्वानुमान से दो गुना है। ब्रिटैन की मुद्रास्फीति 8.7 प्रतिशत के स्तरों पर स्थिर बनी हुई है और मुद्रास्फीति को कम होने में अनुमान से अधिक समय लगने की उम्मीद है। यू.के. की मुख्य ब्याज दर अब 5 प्रतिशत हो गई है, जो 15 साल के बाद सबसे अधिक है।यू.के. केंद्रीय बैंक ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ठीक बाद लगातार 13 बार दरें बढ़ाई हैं, और लगातार 10 दौर की सख्ती के साथ अमेरिका में दरें 5.25 प्रतिशत के शिखर पर पहुंच गई हैं। पिछले सप्ताह अमेरिका से जारी एक्सिस्टिंग होम सेल्स और बिल्डिंग परमिशन के आंकड़े अनुमान से बेहतर दर्ज किये गए है जिससे डॉलर इंडेक्स को सपोर्ट मिला है। फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने पिछले सप्ताह सीनेट के सामने टेस्टीफाई देते हुए इस उम्मीद को मजबूत किया कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस साल दरों में कम से कम दो बार बढ़ोतरी करेगा। हालांकि, उच्च ब्याज दरें ग्लोबल अर्थव्यवस्था को नुकसान पंहुचा रही है और लम्बे समय तक उच्च ब्याज दरे मुद्रास्फीति में कमी के साथ आर्थिक मंदी को बढ़ावा देगा जो कीमती धातुओं को निचले स्तरों पर सपोर्ट करेगा। अगस्त वायदा सोने में पिछले सप्ताह 1.80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और भाव 58250 रुपये प्रति दस ग्राम, जबकि चांदी में 6 प्रतिशत से अधिक की साप्ताहिक गिरावट हुई जिससे इसके भाव 68000 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर पहुंच गए है।
तकनिकी विश्लेषण
इस सप्ताह कीमती धातुओं में दबाव जारी रह सकता है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 56000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 59500 रुपये पर है। जुलाई वायदा चांदी में सपोर्ट 66000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 71000 रुपये पर है।