त्यौहार के सीजन से पहले कठोर मौद्रिक नीति के संकेतो से सोने और चांदी के भाव सस्ते हो गए है। और भारत में त्यौहार पर रीती रिवाज़ों के चलते पितृपक्ष के बाद सस्ते भाव होने के कारण इनकी हाज़िर मांग को अच्छा सपोर्ट देखने को मिल सकता है। भारत में पहली तिमाही में सोने की मांग में गिरावट देखने को मिली थी जबकि दूसरी तिमाही में मांग 4 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान है। हालांकि, बांड यील्ड में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण गैरउपज वाली संपत्ति सोने से निवेशको ने छोटी अवधि के लिए दुरी बना रखी है। एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट की सोने में होल्डिंग घट कर चार साल के निचले स्तरों पर पहुंच गई है। अमेरिका में आर्थिक मंदी का डर कम होने के बाद से ही निवेशक लम्बी अवधि के गवर्नमेंट बांड यह मान कर बेच रहे है की अर्थव्यवस्था ज्यादा नहीं सिकुड़ेगी। जबकि चीन, जो अमेरिकी ट्रेज़री का सबसे बड़ा होल्डर है, में आर्थिक मंदी रहने के कारण ट्रेज़री में नई खरीद नहीं हो रही है और अमेरिकी डेब्ट की रेटिंग घटने के बाद फेड द्वारा भी बांड खरीद कम हुई है जिससे बांड यील्ड में बढ़ोतरी हुई है और कीमती धातुओं के भाव में दबाव बना हुआ है। रोज़गार बाजार और मुद्रास्फीति में स्थिरता ब्याज दरों को लम्बी अवधि के लिए उच्च स्तरों पर बनाये रख सकता है, हालांकि ग्लोबल अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल और भूराजनीतिक मुद्दो के रहते सोने में लम्बी अवधि की तेज़ क़ायम रह सकती है। पिछले सप्ताह एमसीएक्स दिसंबर वायदा सोने में 2 प्रतिशत की गिरावट के बाद भाव 56500 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी में 4.5 प्रतिशत की गिरावट के बाद भाव 66800 रुपये प्रति किलो पर रहे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव सीमित दायरे में रह सकते है। एमसीएक्स दिसंबर वायदा सोने में सपोर्ट 55000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 58000 रुपये पर है। दिसंबर वायदा चांदी में सपोर्ट 62000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 70000 रुपये पर है।
फेड बैठक के बाद सोने की कीमते सप्ताह के निचले स्तरों पर आ गई, हालांकि कीमतों में गिरावट सीमित रही जबकि चांदी में 2 प्रतिशत की तेज़ी के बाद भाव 73600 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गए। पिछले सप्ताह की बैठक में फेडरल रिजर्व ने तब तक दरें बढ़ाने के संकेत दिए है जब तक कि मुद्रास्फीति अपने वार्षिक लक्ष्य 2 प्रतिशत पर वापस नहीं आ जाती। जिसके कारण एमसीएक्स में सोना 0.20 की साप्ताहिक गिरावट के बाद 58800 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तरों पर कारोबार करता दिखा। मौद्रिक नीति पर फेड के कड़े रुख के कारण स्पॉट गोल्ड 1950 डॉलर के महत्वपूर्ण स्तरों को पार नहीं कर पाया है जबकि यह महत्वपूर्ण सपोर्ट 1900 डॉलर के ऊपर बना हुआ है। बेंचमार्क अमेरिकी 10-वर्षीय ट्रेज़री यील्ड 4.5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद सोने में दबाव बढ़ गया है, जो 2007 के बाद से सबसे अधिक है, और यह बांड बाजार में भारी बिकवाली को दर्शा रहा है। इस बीच, डॉलर इंडेक्स छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे अन्य मुद्राओं के धारकों द्वारा डॉलर में कारोबार करने वाली वस्तुओं की खरीदारी सीमित कर दी है। पिछले सप्ताह फेड की नीति बैठक में सितंबर के लिए दरों को अपरिवर्तित छोड़ने के बावजूद, फेड द्वारा इस साल के अंत तक ब्याज दरों में एक और 0.25 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी रोकने के बाद भी उच्च दरें लम्बी अवधि तक बने रहने के संकेत दिए है, जिससे सोने की कीमतों में दबाव बना रह सकता है जब तक की उच्च ब्याज़ दरों के कारण आर्थिक मंदी हावी नहीं हो जाती है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव सिमित दायरे में रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 59500 रुपये पर है। दिसंबर वायदा चांदी में सपोर्ट 71000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 75000 रुपये पर है।
भारत में आमतौर पर कीमती धातुओं की खरीद साल की दूसरी छह माहि में बढ़ती हुई दिखाई देती है। इस बीच, कच्चे तेल के भाव में बढ़त और सोने के इम्पोर्ट में बढ़ोतरी से भारत का ट्रेड बैलेंस -20.7 बिलियन बढ़कर -24 बिलियन हो गया है जिससे डॉलर मजबूत हो कर 83.20 रुपये पर पहुंच गया है। भारत में त्यौहार शुरू होने के पहले सोने का इम्पोर्ट इस साल अगस्त 2022 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है जिससे सोने और चांदी के भाव को घरेलु मांग का सपोर्ट भी मिल रहा है। जबकि इस साल मानसून कमजोर रहने के चलते मुद्रास्फीति को बल मिल सकता है जो सेफ हैवन मांग बढ़ा सकता है। कॉमेक्स वायदा में सोने और चांदी की कीमतों में दो हफ्तों से चल रहा दबाव फेड बैठक के पहले कम होता दिखाई दिया है। अमेरिकी कंस्यूमर और प्रोडूसर मुद्रास्फीति में हुई बढ़ोतरी मामूली रहने के चलते अनुमान लगाया जा रहा है की फेड इस सप्ताह होने वाली बैठक में ब्याज दरे नहीं बढ़ाएगा। हालांकि, बढ़ती मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने के लिए हॉकिश टिपण्णी, कीमती धातुओं के भाव में बढ़ोतरी की सम्भावना को सीमित कर सकती है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा पिछले सप्ताह मुद्रास्फीति को स्थिर करने के लिए डिपोसिट रेट में बढ़ोतरी की गई है जबकि चीन द्वारा अपनी अर्थव्यस्था को बढ़ाने और लोकल बैंक को सपोर्ट करने के लिए रिज़र्व आवश्यकता में कटौती की है, जो चांदी की ग्लोबल मांग के लिए अच्छा होगा। इस सप्ताह फेड की बैठक कीमती धातुओं के भाव को नै दिशा है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव में सुधार रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 59700 रुपये पर है। दिसंबर वायदा चांदी में सपोर्ट 70000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 74000 रुपये पर है।
पिछले सप्ताह फेडरल रिजर्व की एक रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ है कि जुलाई और अगस्त में श्रम बाजार में सुस्ती और धीमी मुद्रास्फीति के दबाव के बीच अमेरिकी आर्थिक विकास मामूली रहा है, जिससे उम्मीदों को बल मिला कि केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी या तो कर दी है, या इसके अंत के करीब है। फेड की बीइंग बुक के मुताबिक जुलाई-अगस्त में आर्थिक विकास माध्यम रहा है। टूरिस्म खर्चो में बढ़ोतरी हुई है, जबकि रिटेल स्पेंडिंग में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। मूल्य वृद्धि धीमी हुई है, लेकिन फेड सर्वे के अधिकतर जिलों ने संकेत दिया कि इनपुट कॉस्ट वृद्धि बिक्री मूल्य से कम धीमी है, क्योकि कम होती मांग के कारण व्यापार बढ़ी हुई लागत को बिक्री मूल्य में शामिल करने में असमर्थ है। लेकिन, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति फिर से बढ़ने की सम्भावना है जिससे यह अनुमान है की फेड सितम्बर में होने वाली बैठक में अपना रुख हॉकिश रखेगा। हालांकि, अमेरिका के आर्थिक आंकड़े यह दर्शाते है की अर्थव्यवस्था की स्तिथि अभी बेहतर बनी हुई है और उम्मीद है की आर्थिक मंदी इस साल के लिए टल जाएगी जिससे सुरक्षित आश्रय की मांग कम हुई है। उधर, चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती, इसके आर्थिक आकड़ो में देखि जा सकती है जिससे अमेरिकी डॉलर के विरुद्ध चीन की मुद्रा में गिरावट देखि जा रही जिससे एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा भी गिरावट की चपेट में आ गई है। यूरोपियन यूनियन की मुद्रा यूरो में डॉलर की तुलना में गिरावट बनी हुई है जिससे छः प्रमुख मुद्राओ का मापक अमेरिकी डॉलर इंडेक्स, में तेज़ी देखने को मिल रही है और कीमती धातुओं के भाव में दबाव बना हुआ है। इस सप्ताह अमेरिका मुद्रास्फीति, रिटेल सेल्स, कंस्यूमर सेंटीमेंट और यूरोपियन सेंट्रल बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी, कीमती धातुओं के भाव के लिए महत्वपूर्ण रहेंगी।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव सीमित दायरे में रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60000 रुपये पर है। दिसंबर वायदा चांदी में सपोर्ट 68000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 75000 रुपये पर है।
सोने की कीमतें तीन सप्ताह के उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है, क्योंकि अमेरिका से कमजोर आर्थिक आकड़ो से अटकलें लगाईं जा रही है कि फेडरल रिजर्व के पास ब्याज दरें बढ़ाने के लिए बहुत कम गुंजाइश है। पिछले सप्ताह सोने में मजबूत बढ़त देखी गई क्योंकि कमजोर अमेरिकी जीडीपी और रोजगार आंकड़ो ने डॉलर और ट्रेजरी यील्ड को कम कर दिया। चीनी आर्थिक मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बीच सोने की सुरक्षित निवेश मांग में भी वृद्धि देखी गई, क्योंकि एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के आंकड़े मंदी की और संकेत कर रहे है। चीन के आंकड़ों से पता चला है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अगस्त में लगातार पांचवें महीने सिकुड़ गया है, जबकि नॉन-मैन्युफैक्चरिंग विकास भी धीमा हो गया है। आर्थिक आकड़ो ने चीन में निरंतर आर्थिक कमजोरी की ओर इशारा किया है, जबकि चीन ने अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए और अधिक प्रोत्साहन उपाय करना जारी रखा है। फोकस अब चीन के अधिक प्रोत्साहन उपायों पर है, खबरों से स्पष्ट होता है कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना तरलता को बढ़ावा देने के लिए मॉर्गेज और युआन जमा दरों को और कम करने की योजना बना रहा है, और फॉरेक्स रिज़र्व रेक्विरेमेंट रेश्यो को पिछले सप्ताह कम कर दिया है। अमेरिकी डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, पिछले सप्ताह 1 प्रतिशत तक लुढ़क गया और बेंचमार्क अमेरिकी बांड यील्ड उच्च स्तरों से पीछे हट गई है जिससे सोने और चांदी की चमक बढ़ती दिखाई दी है। पिछले सप्ताह एमसीएक्स में ऑक्टूबर वायदा सोना और दिसंबर वायदा चांदी में 1.5 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अमेरिका ब्याज दरें अधिक होने के बावजूद कोर पीसीई प्राइस इंडेक्स के आंकड़े स्थिर रहे जबकि पर्सनल स्पेंडिंग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन ऊंची दरों के बीच अगर वैश्विक आर्थिक हालात बिगड़ते हैं तो इस साल भी सोने में कुछ मजबूती देखने को मिल सकती है। हाल के अमेरिकी जीडीपी आंकड़ों से पता चला है कि साल की पहली छमाही में आर्थिक मंदी का असर नहीं होने के बावजूद, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अभी ठंडी पड़ी हुई है। त्यौहार सीजन के पहले कीमती धातुओं में घरेलु मांग बढ़ने के आसार है, और भारत में अलनीनो प्रभाव के चलते 122 साल में अब तक सबसे कम बारिश हुई है जिससे फ़ूड इन्फ्लेशन बढ़ने की सम्भावना भी है, जो कीमती धातुओं के भाव को सपोर्ट कर सकता है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव में तेज़ी बनी रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58800 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60500 रुपये पर है। दिसंबर वायदा चांदी में सपोर्ट 74000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 78000 रुपये पर है।
सोने और चांदी की कीमतों में पिछले सप्ताह कमजोर वैश्विक आकड़ो से तेज़ी दर्ज की गई है क्योकि अमेरिका और यूरोप से जारी होने वाले मैन्युफैक्चरिंग आंकड़े अनुमान से कमजोर दर्ज किये गए है। कमजोर मैन्युफैक्चरिंग आंकड़े, धीमी होती व्यापार गतिविधिओ की और संकेत कर रहे है जो फेड और यूरोपियन सेंट्रल बैंक को आगे ब्याज दर वृद्धि से रोक सकते है। जिससे कीमती धातुओं को राहत मिल रही है। इस बीच, सोने की कीमते चार महीने के निचले स्तरों पर रहने के कारण इसके भाव को सपोर्ट मिला है। हालांकि, रुपये में मजबूती रहने से सोने के भाव में तेज़ी सीमित रही लेकिन निवेशकों का भरोसा चांदी में बढ़ता दिखा। पिछले सप्ताह सोने की कीमतों में 0.75 प्रतिशत की तेज़ रही और ऑक्टूबर वायदा सोने के भाव 58800 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तरों पर रहे। चांदी के भाव में पिछले सप्ताह 5 प्रतिशत की तेज़ी दर्ज की गई और इसके भाव 73500 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर कारोबार करते दिखे। कमजोर मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आकड़ो के कारण अमेरिकी डॉलर दो महीने की उचाई और बेंचमार्क अमेरिकी ट्रेज़री यील्ड कई दशकों की उचाई से पीछे हट गए है, जिससे कीमती धातुओं के भाव में पिछले सप्ताह तेज़ी देखने को मिली है। हालांकि, अमेरिका में उच्च ब्याज दरे लम्बी अवधि के लिए रहने का अनुमान है जो कीमती धातुओं में तेज़ी को सीमित कर सकता है। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा को मजबूत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संभावित हस्तक्षेप की अटकलें बाज़ार में चल रही हैं। इस तरह का हस्तक्षेप रुपये के मूल्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, जिससे रुपये में मजबूती रह सकती है और सोने में तेज़ी सीमित रह सकती है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं के भाव सकारात्मक दायरे में रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 57500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 59500 रुपये पर है। दिसंबर वायदा चांदी में सपोर्ट 73000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 76500 रुपये पर है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण कीमती धातुओं में दबाव बना हुआ है, लेकिन ग्लोबल अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल इनको निचले स्तरों पर सपोर्ट भी कर रही है। फेड और ईसीबी के बाद पिछले सप्ताह बैंक ऑफ़ इंग्लैंड ने भी ब्याज दरें 0.25 प्रतिशत बढ़ा दी है। अक्टूबर वायदा सोने की कीमते पिछले दो सप्ताह से सीमित दायरे में कारोबार कर रही है जबकि सितम्बर वायदा चांदी के भाव में पिछले सप्ताह 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। सोने के भाव में 0.35 प्रतिशत की मामूली साप्ताहिक गिरावट के साथ 59600 रुपये प्रति दस के स्तरों पर कारोबार करते रहे जबकि चांदी के भाव टूट कर 72500 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर पहुंच गए। अमेरिकी बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड 4 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई जिससे डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, में बढ़त दर्ज की गई। हालांकि, अमेरिका के मासिक और साप्ताहिक रोज़गार बाजार के आंकड़े कमजोर दर्ज किये जिसके कारण से डॉलर पीछे हट गया और कीमती धातुओं के भाव को सपोर्ट मिला। पिछले सप्ताह के रोज़गार बाजार के आकड़ो के अतिरिक्त अमेरिका के सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े भी कमजोर दर्ज किये गए है, जो फेड को अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करने के लिए बाधित कर सकते है। रूस और सऊदी अरब द्वारा कच्चे तेल की आपूर्ति को टाइट करना अमेरिकी डॉलर को दबाव में रख सकता है। चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त राहत पैकेज चांदी की मांग मजबूत करेगा। हालांकि, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच द्वारा अमेरिका की रेटिंग घटाए जाने के कारण गोल्ड ईटीएफ की मांग घटी है जिससे सोने की कीमतों में ऊपरी स्तरों पर दबाव बना हुआ है। इस सप्ताह अमेरिका के मुद्रास्फीति और कंस्यूमर सेंटीमेंट के आंकड़े कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 61000 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 70500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 76000 रुपये पर है।
सोने और चांदी में पिछले तीन हफ्तों से चल रही तेज़ी, मुनाफ़ा वसूली के कारण थम गई है। इस सप्ताह प्रमुख केंद्रीय बैंको की बैठक रहने के चलते कीमती धातुओं में मुनाफ़ा वसूली देखने को मिल रही है। फेड की इस सप्ताह वाली बैठक में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि ब्याज दरों में होने का अनुमान है जिससे अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 15 महीने के निचले स्तरों से पलट गया है और कीमती धातुओं में मुनाफ़ा वसूली दिख रही है। हालांकि, यह उम्मीद भी बढ़ती दिखाई दे रही है की फेड इस बैठक में कठोर मौद्रिक नीति के अंत की घोषणा कर सकता जिससे कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट सिमित रह सकती है। पिछले सप्ताह चीन से जारी आर्थिक आकड़ो से स्पष्ट हुआ है की आर्थिक विकास धीमा है और इसको बढ़ाने के लिए चीन द्वारा प्रोत्साहन पैकेज दिया गया है जिससे औद्योगिक धातुओं के साथ चांदी के भाव को सपोर्ट मिला है। बाज़ारो की यह उम्मीद की इस बैठक में बढ़ोतरी फेड की साल के लिए आखिरी बढ़ोतरी होगी,और इस साल दरें 5.5 प्रतिशत पर बनी रहेंगी और 2024 से ब्याज दरों में कटौती का अनुमान भी है। फेड के दर वृद्धि चक्र में कोई भी संभावित ठहराव कीमती धातुओं की कीमतों के लिए अच्छा संकेत है, क्योकि पिछले साल से बांड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण अवसर लागत प्रभावित हुई है। इस सप्ताह अमेरिकी फेड के साथ, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और जापान की मॉनेटरी पालिसी कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगी।
इस सप्ताह कीमती धातुएँ सिमित दायरे में रह सकती है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60400 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 73000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 78000 रुपये पर है।
कीमती धातुओं में जून महीने में हुई गिरावट अब थमती नज़र आ रही है और कॉमेक्स वायदा में सोने की कीमते 1900 डॉलर प्रति औंस के स्तरों के ऊपर बनी हुई है। एमसीएक्स सोने में पिछले सप्ताह 0.5 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई और कीमते 58500 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तरों पर रही है। चांदी की कीमते भी सप्ताह में 0.4 प्रतिशत बढ़ कर 70300 रुपये प्रति किलो रही। पिछले सप्ताह फेड बैठक के मिनट्स जारी हुए जिसमे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आगे और भी ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत मिले है, जिससे अमेरिकी बेंचमार्क ट्रेज़री यील्ड में 3.8 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत हो गई। हालांकि, ट्रेज़री यील्ड बढ़ने के बावजूद डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, पिछले सप्ताह दबाव में रहा क्योकि दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सदस्य सऊदी अरब और रूस ने कच्चे तेल की कीमतें बढ़ाने के प्रयास में सोमवार को तेल आपूर्ति में कटौती बढ़ा दी है। अमेरिका के बेरोज़गारी के दावे और जोल्ट्स जॉब ओपनिंग के आंकड़े अनुमान से कमजोर दर्ज किये गए है वही ग्लोबल शेयर बाज़ारो में नरमी, कीमती धातुओं को आकर्षित बना रहे है। भारत में इस साल की पहली तिमाही में सोने की कीमते तेज़ रहने के कारण हाजिर मांग 17 प्रतिशत कम रही है। जिससे हाजिर में सोने के भाव अभी डिस्काउंट में चल रहे है। इंदौर में दस ग्राम 24 कैरेट सोने के भाव 57800 रुपये और चांदी 75700 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर कारोबार कर रहे है। भारत में अनुमान से बेहतर रही मानसून की चाल, कीमती धातुओं की हाजिर मांग को सपोर्ट कर सकती है। अमेरिका के मुद्रास्फीति के आंकड़े कीमती धातुओं को इस सप्ताह नई दिशा देने में सहायक रहेंगे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रह सकती है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 57500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 59500 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 67000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 71700 रुपये पर है।
उच्च ब्याज दरों के असर से अमेरिका में मुद्रास्फीति घट कर 3 प्रतिशत के स्तरों पर आ गई, जो बाजार में मांग कमजोर रहने के संकेत दे रहे है। मुद्रास्फीति में लगातार कमी, फेड को आगे ब्याज़ दर बढ़ोतरी पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है। मौद्रिक निति में ढील देने की उम्मीदों से अमेरिकी डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, 100 के स्तरों के निचे पहुंच गया है जो 15 महीने का निचला स्तर है, और जिससे कीमती धातुओं की चमक बढ़ने लगी है। पिछले सप्ताह के आंकड़ों से पता चला है कि अमेरिका के बेहतर श्रम बाजार के बावजूद, अमेरिकी उपभोक्ता और उत्पादक मुद्रास्फीति जून में उम्मीद से कम बढ़ी। हालांकि निवेशकों ने इस साल के बाद दरों में किसी भी बढ़ोतरी की सम्भावना को कम कर दिया है, फिर भी अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा जुलाई में दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, बाजार मूल्यांकन से संकेत मिलता है कि फेड 2024 में दरें कम करना शुरू कर सकता है। एमसीएक्स में अगस्त वायदा सोने के भाव पिछले सप्ताह 0.76 प्रतिशत बढ़ कर 59250 रुपये दस ग्राम रहे जबकि सितम्बर वायदा चांदी के भाव सप्ताह में 6 प्रतिशत बढ़कर 75800 रुपये प्रति किलो के स्तरों पर पहुंच गए है। अमेरिका में उच्च दरे रहने के दौरान अर्थव्यवस्था का बेहतर प्रदर्शन चांदी की कीमतों को सपोर्ट कर रहा है। इंदौर सराफा बाज़ार में 10 ग्राम सोने के भाव 58700 रुपये रहे जबकि चांदी के भाव 79500 रुपये प्रतिकिलो पर प्रीमियम पर कारोबार करते दिखे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रह सकती है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 58300 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60000 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 72500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 77000 रुपये पर है।
फेड द्वारा ब्याज दरों में की गई वृद्धि के बाद सोने और चांदी के भाव में दबाव दिखा और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में उछाल आया। उम्मीद के मुताबिक फेड द्वारा दरों में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी के बाद सोना टूट गया और संभावित अमेरिकी मंदी के संबंध में फेड की भाषा भी नरम रही। लेकिन केंद्रीय बैंक ने श्रम बाजार में मजबूती और अपेक्षाकृत स्थिर मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए सितंबर में एक और संभावित बढ़ोतरी का दरवाजा भी खुला छोड़ दिया है। कॉमेक्स वायदा में सोना 1,950 डॉलर प्रति औंस के भीतर पहुंच गया है क्योंकि केंद्रीय बैंक ने भविष्य में दर बढ़ोतरी के लिए डेटा-संचालित दृष्टिकोण रखने का संकेत दिया है। बढ़ती ब्याज दरें कीमती धातुओं के लिए ख़राब संकेत हैं और उम्मीद है कि इस साल सोने में बढ़त सीमित रहेगी।फेड ने इस साल दर में कटौती की संभावना को भी कम कर दिया, और अमेरिकी ब्याज़ दर 22 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर बने रहने से कीमती धातुओं के बाजारों पर निरंतर दबाव की ओर संकेत कर रहा है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने भी पिछले सप्ताह ब्याज दरों को 0.25 प्रतिशत से बढ़ा दिया है। बैंक ऑफ़ जापान ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन अपने हॉकिश संकेतो से बाज़ार को चौंका दिया। बैंक ऑफ जापान द्वारा अपनी यील्ड कर्व नियंत्रण नीति के लिए अधिक लचीले दृष्टिकोण का संकेत देने के बाद बाजार कुछ हद तक जोखिम-विरोधी रहे, जिससे अंततः बैंक के अल्ट्रा डोवीश रुख से दूर जाने का संकेत मिला है। इस बीच, अमेरिका की जीडीपी और रोज़गार बाज़ार के आंकड़े अनुमान से बेहतर दर्ज किये गए जिससे कीमती धातुओं के भाव में दबाव बना। बेहतर आर्थिक आकड़ो के चलते आर्थिक मंदी का डर कम हुआ है जिससे निवेशक अमेरिकी डॉलर इंडेक्स की और आकर्षित हुए है। हालांकि, केंद्रीय बैंको का मौद्रिक नीति पर लगातार कठोर रुख ग्लोबल अर्थव्यवस्था को नुकसान पंहुचा सकता है, जो कीमती धातुओं को निकट भविष्य में सपोर्ट कर सकता है।
इस सप्ताह कीमती धातुएँ दबाव में रह सकती है। एमसीएक्स अक्टूबर वायदा सोने में सपोर्ट 58300 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60500 रुपये पर है। सितम्बर वायदा चांदी में सपोर्ट 71000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 76000 रुपये पर है।
कीमती धातुओं में फेड के हॉकिश टिपण्णी के कारण पिछले सप्ताह बिकवाली का दबाव रहा और अमेरिका के मुद्रास्फीति आंकड़े साल-दर-साल 4.9 प्रतिशत से घट कर 4 प्रतिशत रह गए है। फेड ने आने वाले महीनों में दो बार और ब्याज दरे बढ़ाने के संकेत दिए है, जो कीमती धातुओं में दबाव बनाने का कारण रहा। हालांकि, फेड ने पिछले सप्ताह हुई बैठक में ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं की है और बैंक ऑफ़ चाइना द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को सपोर्ट करने के लिए छोटी अवधि की ब्याज दरों में कटौती कर दी है, जिससे सोने और चांदी के भाव में निचले स्तरों से सुधार दर्ज किया गया है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने मैन रेफिनान्सिंग दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की और यूरोपियन सेंट्रल बैंक की प्रेसिडेंट लेगार्ड ने जुलाई में एक और बढ़ोतरी के संकेत दिए है, जिससे यूरो में मजबूती और डॉलर में दबाव बढ़ा है। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में पिछले सप्ताह 1.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। सोने और चांदी की कीमते पिछले कुछ महीनो से दबाव में रहने के बाद सिमित दायरे में देखि जा रही है। फेड के हॉकिश टिपण्णी के बावजूद सोने की कीमतों में निचले स्तरों से सुधार देखा गया है जबकि डॉलर इंडेक्स में छोटी अवधि की तेज़ी अब समाप्त होती दिख रही है जिससे कीमती धातुओं में तेज़ी शुरू होने के सम्भावना बढ़ रही है। प्रमुख अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों में कम होता कंस्यूमर इन्फ्लेशन, अपेक्षा से अधिक साप्ताहिक बेरोजगारी दावे और कमजोर औद्योगिक उत्पादन, केंद्रीय बैंक को ब्याज दर बढ़ाने के लिए सीमित जगह देता है।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी के रुझान देखने को मिल सकते है। एमसीएक्स अगस्त वायदा सोने में सपोर्ट 58400 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 60500 रुपये पर है। जुलाई वायदा चांदी में सपोर्ट 70000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 74000 रुपये पर है।
पिछले सप्ताह रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा अपनी मॉनेटरी पालिसी में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया और इस सप्ताह जारी होने वाले मुद्रास्फीति के आकड़ो में कमी होने के अनुमान से बाजार में तरलता बनी रहने की उम्मीद है। अमेरिका, चीन और यूरो जोन से जारी होने वाले आंकड़े कमजोर दर्ज किये गए जिससे सोने और चांदी के भाव निचले स्तरों से पलट गए है और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में छोटी अवधि के लिए आई तेज़ी पूरी होती दिखने लगी है। अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्था में व्यवसाइक गतिविधियाँ कम होने से निवेशकों का ध्यान कीमती धातुओं की और बढ़ने लगा है। पिछले सप्ताह जारी आकड़ो से संकेत मिले है कि 2023 की पहली तिमाही और 2022 की अंतिम तिमाही की बढ़ोतरी में गिरावट के बाद यूरोज़ोन अर्थव्यवस्था इस साल की पहली तिमाही में मंदी की चपेट में आ गई है। अमेरिका में बेरोज़गारी के आंकड़े 233 हज़ार से बढ़कर 261 हज़ार पहुंच गए है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओ से मिल रहे कमज़ोर संकेतो के चलते सोने और चांदी की कीमतों में पिछले सप्ताह निचले स्तरों से बढ़त दर्ज की गई है। लेकिन, बैंक ऑफ़ कनाडा द्वारा पिछले सप्ताह ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है और अमेरिका में रोज़गार बाज़ार में मजबूती रहने के कारण फेड हॉकिश रुख अपना सकता है, जिसके संकेत फेड सदस्य दे चुके है। अगर अर्थव्यवस्था में खपत के पैमानें पर नज़र डाली जाये तो अमेरिका में ड्राइविंग सीजन रहने के बावजूद और सऊदी अरब द्वारा पिछले सप्ताह कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने के बाद भी इसकी कीमतों में दबाव, अर्थव्यवस्था में मांग कमजोर रहने के संकेत देते है। चीन के सबसे बड़े बैंकों ने अर्थव्यवस्था में विकास को बढ़ावा देने के लिए पिछले सप्ताह बचतकर्ताओं के लिए ब्याज दरों में कटौती की, जिससे खपत की धीमी रफ़्तार में सुधार हो सके। इस सप्ताह अमेरिका के सीपीआई, एफओएमसी और यूरोपियन सेंट्रल बैंक की बैठक, और चीन की मौद्रिक नीति, कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में तेज़ी रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स जून वायदा सोने में सपोर्ट 58300 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 61000 रुपये पर है। जुलाई वायदा चांदी में सपोर्ट 71000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 76000 रुपये पर है।
भारत में शादियों का सीजन के दौरान सोने की कीमतों में बड़ा सुधार देखने को मिला है। पिछले सप्ताह एमसीएक्स में जून वायदा सोना 1.7 प्रतिशत टूट कर 59800 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तरों पर पहुंच गया। लगातार दो हफ्तों से सोने की कीमतों में ऊपरी स्तरों पर दबाव बना हुआ है और यह अपने उच्चतम स्तरों से 2000 रुपये प्रति दस ग्राम घट चुका है। दरअसल, अमेरिकी डेब्ट सीलिंग पर बिडेन प्रशाशन आशावादी रहा है और उम्मीद है की इसकी लिमिट बढ़ा दी जाएगी जिससे डेब्ट सीलिंग को लेकर चल रही अनिश्चितता कम हुई है और कीमती धातुओं के भाव में दबाव बना है। पिछले सप्ताह फेड चेयर जेरोम पॉवेल के अतिरिक्त अन्य फेड मेंबर्स की स्पीच से स्पष्ट हुआ है की ज्यादातर फेड मेंमबर आगे भी ब्याज़ दरों में वृद्धि के पक्ष में बने हुए है, जिससे बेंचमार्क अमेरिकी ट्रेज़री यील्ड और डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कॉमेक्स वायदा बाजार में सोना 2089 डॉलर के उच्च स्तरों से टूट कर 1970 डॉलर प्रति औंस के निचे फिसल गया है। हालांकि, फेड मेंबर्स की मॉनेटरी पॉलिसी पर हॉकिश टिपण्णी के बाद, पिछले दो सप्ताह में डॉलर 1 रुपये मजबूत होकर 82.70 रुपये के स्तरों पर पहुंच गया है, जिससे घरेलु वायदा बाज़ार में सोने की गिरावट सीमित रही है। अमेरिका से जारी होने वाले रिटेल सेल्स के आकड़ो में पिछले महीने की तुलना में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और बेरोज़गारी के दावे में कमी दर्ज की गई, जिससे संकेत मिलते है की उच्च ब्याज दरे रहने के बावजूद अर्थव्यवस्था मजबूत है इसके परिणाम स्वरुप फेड सदस्यों की टिपण्णी हॉकिश रही है। इस सप्ताह एफओएमसी मीटिंग के मिनट्स, अमेरिकी जीडीपी, बेरोज़गारी दावे और कोर पीसीई प्राइस इंडेक्स के आंकड़े महत्वपूर्ण रहेंगे।
तकनिकी विश्लेषण :
इस सप्ताह कीमती धातुओं में दबाव बने रहने की सम्भावना है। एमसीएक्स जून वायदा सोने में सपोर्ट 58000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 61800 रुपये पर है। जुलाई वायदा चांदी में सपोर्ट 70000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 74000 रुपये पर है।
कीमती धातुओं के भाव में पिछले सप्ताह गिरावट तेज़ हो गई हालांकि अमेरिकी बेरोज़गारी के दावों और बेरोज़गारी दर बढ़ोतरी के साथ क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन में 8 प्रतिशत की गिरावट होने से कीमती धातुओं की कीमतों में कुछ सुधार देखने को मिला। अमेरिका की एस वी बैंक के दिवालिया होने की खबरों से शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव रहा जिससे कीमती धातुओं के भाव को निचले स्तरों पर सपोर्ट मिला। फेड चेयर जेरोम पॉवेल के हॉकिश संकेतों से कीमती धातुओं में दबाव बना, पॉवेल ने सचेत किया है कि बढ़ती मुद्रास्फीति और रोज़गार बाजार में लचीलेपन से उम्मीद से ज्यादा ब्याज दरे बढ़ाने की सम्भवना है। हालांकि मार्च महीने में होने वाली फेड की बैठक को लेकर पॉवेल ने किसी योजना से इंकार किया है, और आगे ब्याज दर बढ़ोतरी और ब्याज दर बढ़ोतरी की गति को आर्थिक आकड़ो के प्रदर्शन पर निर्भर होना बताया है। पिछले सप्ताह अमेरिका के साप्ताहिक बेरोज़गारी के दावों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन जोल्ट्स जॉब ओपनिंग और एडीपी नॉन फार्म एम्प्लॉयमेंट चेंज के आंकड़े अनुमान से बेहतर दर्ज किये गए है। डॉलर, जो सोने के विपरीत दिशा में चलता है, इस सप्ताह तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जबकि बेंचमार्क अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड भी तेजी से बढ़ी क्योंकि निवेशकों ने निकट अवधि में फेड द्वारा अधिक आक्रामक ब्याज दर बढ़ोतरी की उम्मीद में डॉलर की और रुख किया है। हालांकि, पिछले सप्ताह अमेरिका से जारी नॉन फार्म एम्प्लॉयमेंट चेंज के आंकड़े अनुमान से बेहतर रहे, लेकिन बेरोज़गारी दर में बढ़ोतरी और प्रति घंटे की औसत आय में कमी, फेड को मौद्रिक नीति पर नरमी के लिए बाध्य कर सकता है।
इस सप्ताह अमेरिका के मुद्रास्फीति, रिटेल सेल्स, पीपीआई, कंस्यूमर सेंटीमेंट और यूरोपियन सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति कीमती धातुओं के लिए महत्वपूर्ण रहेगी।
इस सप्ताह कीमती धातुओं में दबाव रहने की सम्भावना है। सोने में सपोर्ट 55000 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 56400 रुपये पर है। चांदी में सपोर्ट 61500 रुपये पर है और रेजिस्टेंस 65000 रुपये पर है।
The decline in the Indian rupee this year has been attributed to the higher crude oil prices, the tightening policy of the US Federal Reserve, and the overall strength of the US dollar. Added to this the global uncertainty due to the geopolitical crisis caused by the war between Russia and Ukraine caused the weakening of the dollar.
The US Federal Reserve (Fed) raised interest rates by 75 basis points at its last meeting and said it would raise interest rates further by 75 basis points in November and 50 basis points in December.
Stocks plunged, Asian currencies fell, and markets went risk-off following the US Federal Reserve's announcement on Sept. 21.
Yields on dollar-denominated investments rose relative to emerging markets such as India. There is speculation that a more aggressive rate hike by the US Federal Reserve could take place, which could put further pressure on India's currency.
The Indian Rupee's value against the US Dollar works based on supply and demand. As the demand for the US dollar increases, the Indian Rupee depreciates. When a country imports more than it exports, demand for the dollar exceeds supply, causing domestic currencies such as the Indian rupee for India to depreciate against the dollar.
Supply-demand imbalances and geopolitical tensions between Russia and Ukraine led to a sharp rise in oil prices in February 2022. India’s crude basket price fell 43.8% from April 2021 to February 2022.
Foreign institutional investors (FIIs) have also sold $28.4 billion worth of equities so far this year, surpassing the $11.8 billion sold during the global financial crisis in 2008, because of which more foreign capital outflow from the domestic market The rupee has fallen 5.9% against the dollar so far this year.
The outflow of money from India will affect the rupee-dollar exchange rate and depreciate the rupee. Such a weakening would put significant pressure on the already high import prices of oil and commodities, paving the way for import inflation and higher production costs, along with higher retail inflation.
The dollar index, which tracks currencies against a basket of major currencies, is up more than 9% this year, reaching its highest level in 20 years.
The market fell for the second week in a row as the depreciation of the rupee against the dollar put pressure on the domestic market to reverse two months of positive inflows. Rate hikes by the US Federal Reserve and tightening of monetary policy by central banks around the world signaled a selloff among investors. The market started the week subdued, led by weak global markets.
Weakness in global markets finally pulled the index down over the weekend. Nifty posted his second straight day of positive closings, and his benchmark index corrected for his second week in a row, with sessions just above 17300, down 1.16% from the previous week's close.
RBI is responsible for maintaining the stability of the rupee. Whenever the rupee falls significantly, the RBI sells dollars from the forex pool to enter the market. The central bank sold $19.05 billion in the spot market in July, according to RBI data.
Another reason the rupee may come under pressure is that RBI intervention may become less aggressive, analysts say. This could help the rupee catch up with other emerging economies and protect rapidly depleting foreign exchange reserves, experts said.
The September 28-30 RBI Monetary Policy Committee meeting will be closely watched by stakeholders as the market expects repo rates to rise by 50 basis points (bps). FX reserves, down 14% from their peak, also keep the market on edge.
State Bank of India's net profit in the first quarter of the current financial year on a standalone basis has declined by 7 percent.
State Bank of India (SBI) reported a net profit of Rs 6,068.08 crore compared with Rs 6,504 crore in the same quarter last year. Due to Mark to Market (MTM) losses on its investment book, the bank's operating profit decreased by 33% to Rs 12,753 crore from Rs 18,975 crore in the April-June quarter of the previous fiscal.
The bank's interest income increased to Rs 72,676 crore from Rs 65,564 crore previously. Net interest income grew from Rs 27,638 crore in the first quarter of the previous fiscal to Rs 31,196 crore which is 12.87 percent. The net interest margin increased from 3.15 to 3.23 percent.
Core operating profit jumped by 14.39 percent year over year, from Rs 16,873 crore in Q1 FY22 to Rs 19,302 crore in Q1 FY23, when trading income and MTM were excluded.
The bank's gross (NPA) ratio increased from 5.32 percent at June's end of the previous year to 3.91 percent today. Similar to this, net NPAs decreased from 1.7% in June 2021 to 1.02 in June 2022. Domestic NIM for Q1FY23 climbed by 8 bps YoY to 3.23 percent. While the net NPA ratio decreased by 77 bps YoY to 1.00 percent, the gross NPA ratio decreased by 141 bps YoY to 3.91 percent.
The Provision Coverage Ratio (PCR), which was 75.05 percent, increased by 719 bps YoY. A 90.14 percent PCR (Inclusive AUCA) was reported. The slippage ratio for the reviewed quarter was 1.38 percent, an improvement of 109 bps year over year. Corporate loan volume increased by 10.57%, while SME and agricultural loans also saw year-over-year increases of 10.01% and 9.82%, respectively.
Deposit increased by 8.73% to Rs. 40 lakh crore. As of June 30, the bank's CASA ratio dropped 64 basis points to 45.33 percent. Retail bank deposits are up 8.73% year over year. Credit Cost for Q1 FY23 was 0.61 percent, up 18 basis points year over year. At the end of the June quarter of 2022–23, the capital adequacy ratio (CAR) was 13.43%.
SBI added that 38% of retail asset accounts and 65% of savings bank accounts were opened online using YONO. The proportion of alternate channels in all transactions climbed from 95.1% in the first quarter of FY22 to 96.6 in the first quarter of FY23.
Due to Mark to Market (MTM) losses on its investment book, the bank's operating profit decreased by 33% to Rs 12,753 crore from Rs 18,975 crore in the April-June quarter of the previous fiscal.
The bank's Return on Asset and Return on Equity, which was 0.48 percent and 10.09 percent, respectively, suffered from the MTM hit.
Non-interest income fell significantly. The sharp reduction in SBI's non-interest income was a significant factor in the company's profit decline. In the June quarter, SBI's non-interest income was barely Rs 2,312 crore, compared to Rs 11,802 crore in the same quarter of the prior fiscal year.
Talking about the stock of SBI, the company's stock has given a return of 13 percent to the investors in YTD time. At the same time, it has given a return of 22.20 percent in the last year and has given a return of 90.02 percent to the investors in the last 5 years.
Promoter ownership of SBI was 57.57 percent as of June 2022, with no shares pledged.
Dividends of Rs 07.10 per share have been issued by SBI for the fiscal year that ended in March 2022.
SBI's share price increased by 84.45, or around 19.38 percent, during the course of the past year, from Rs 435.7 to Rs 520.1.
At 43,884.2, the S&P BSE BANKEX Index is now trading (up 0.77 percent). It increased by 3,153.0 points (up 7.74 percent) in the past year, from Rs 40,731.3 to Rs 43,884.2.
The S&P BSE SENSEX has increased 8.25% overall.
सोने के भाव में लगातार तीसरे सप्ताह भी तेज़ी जारी रही वही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़े मजबूत रहने से चांदी में भी तेज़ी देखि गई। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स पिछले सप्ताह 1.21 प्रतिशत टुटा जिसकी कमजोरी के चलते सोने और चांदी के भाव में तेज़ी बनी रही। लेकिन, वैश्विक आर्थिक आकड़ो में सुधार के साथ मुद्रास्फीति में भी गिरावट दर्ज की गई है जिससे कीमती धातुओं की तेज़ी में लगाम लगी है। मुद्रास्फीति घटने के बावजूद फेड सदस्यों द्वारा ब्याज दरे बढ़ाने की बात कही गई है जिससे सोने और चांदी में मुनाफा वसूली भी देखने को मिल रही है।
अमेरिकी मुद्रास्फीति आकड़ो के बाद उत्पादक मूल्य मुद्रास्फीति (पीपीआई) में भी अप्रत्याशित गिरावट दर्ज की गई है। मौद्रिक नीति पर अमेरिकी फेड का रुख अभी आक्रामक है। भारत में भी अमेरिकी फेड के साथ-साथ ब्याज दरों में वृद्धि हुई है और त्यौहार की मांग आने में थोड़ा समय बाकि रहने से सोने और चांदी की कीमते लम्बी अवधि के लिहाज से अभी सीमित दायरे में बनी हुई है जिससे इनमे ऊपरी स्तरों पर दबाव बनने की सम्भावना भी नज़र आती है।
अमेरिका, चीन और भारत में मुद्रास्फीति में कमी सोने की बढ़त को फीका कर सकती है लेकिन भूराजनीतिक मुद्दो से निचले स्तरों पर सपोर्ट भी मिलता रहेगा। इस सप्ताह अमेरिका से जारी होने वाले रिटेल सेल्स और एफओएमसी मीटिंग के मिनट्स सोने और चांदी के भाव के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे।
कीमती धातुओं में इस सप्ताह ऊपरी स्तरों पर दबाव रहने की सम्भावना है। अक्टूबर वायदा सोने की कीमतों में 51700 रुपये पर सपोर्ट है और 53200 रुपये पर प्रतिरोध है। सितम्बर वायदा चांदी में 57300 रुपये पर सपोर्ट और 59700 रुपये पर प्रतिरोध है।
India's largest-ever 5G spectrum auction in India finished on Monday with bids totaling more than Rs 1.5 lakh crore. The auction procedure lasted seven days and 40 rounds of bidding. During the 5G spectrum auction, Reliance Jio ended up being the biggest bidder. The next-generation network is considered to be essential for new technologies like artificial intelligence and self-driving automobiles, enabling the use of advanced linked gadgets using cloud computing technologies and permitting video downloads in seconds. In addition to providing customers with fast data access, 5G has the potential to support a variety of enterprise-level applications, including more immersive augmented reality and metaverse experiences, connected vehicles, and machine-to-machine communications. Keeping this in view, By October of this year, the Indian government hopes to start rolling out 5G, which it claims can deliver data speeds around ten times faster than 4G.
In the 5G spectrum auction, Bharti Airtel, Vodafone Idea, Adani Enterprises Ltd., and Reliance Jio participated Reliance Jio bid Rs 88,078 crore For 24,740 MHz of spectrum. Airtel purchased 19,876 Mhz of spectrum For Rs 43,084 crore. Vodafone Idea Ltd paid just Rs 18,799 crore for 6228 MHz of spectrum. Adani Enterprises only invested Rs 212 crore in six circles, including Gujarat, Mumbai, Karnataka, Tamil Nadu, Rajasthan, and Andhra Pradesh, for 400 MHz in the millimeter band.
Within six years of its formal launch, Jio has established itself as the market leader with its 4G services, serving more than 400 million subscribers.- Jio has purchased low-band, mid-band, and mm Wave spectrum.- Jio will be the sole telecommunications provider using the 700Hz spectrum footprint to offer 5G internet access.- Jio has acquired 22 circles' worth of 700Hz and 800Hz bands.- Jio will pay Rs 7,877 crore every year with interest calculated at a rate of 7.2% per year for the next 20 years.
Jio Platforms, a division of RIL reported a 17.1% increase in gross revenue for FY22, totaling INR 95,804 Cr, while net profit increased by 23.6 Percent to INR 15,487 Cr. During FY22, Jio Platforms' EBITDA increased 20.9 percent to INR 39,112 Cr. Reliance Jio's June quarter profit jumped from 23.82 percent YoY to Rs 4,335 crore. The telecom operator's Q1 revenue saw a growth of 21.55 percent to Rs 21,873 crore. Jio had gained over 31 lakh, mobile subscribers, in May, taking its mobile customer count to 40.87 crores according to TRAI.Jio's extensive fiber network and home-grown technology platforms guarantee seamless internet access for both consumers and enterprises. Reliance will get benefit in the form of 5G tariff plans will likely lead to higher revenues for telecom companies
According to Reliance, the planning for 5G coverage in 1,000 of the biggest cities of India has been finished. Using a variety of services, including heat maps, 3D maps, and ray-tracing technologies, Jio said that it is now testing the implementation of its 5G services throughout India. Jio is presently testing its own 5G RAN and Core technologies that it built on its own.
India will adopt 5G gradually, especially given the possibility of price hikes and the fact that just roughly 7% of all smartphones in India are 5G-capable. During the next 20 years, India's Department of Telecommunications will receive an upfront payment of $1.6 billion. The auction record the largest earnings that will aid in bolstering the government's finances at a time when India's budget deficit, is predicted to reach 6.4 percent.
For Indian telecoms to fuel their revenue growth by delivering ultra-high speed wireless network services, the 5G spectrum is essential. 5G can provide enterprises the ability to create their own networks. In India, mobile data consumption is expected to increase by 29% and data income to increase by 67% between 2020 and 2026 as a result of the next generation of mobile broadband, despite unsubstantiated worries about radiation levels or worries about increased pricing. The technology will also enable the country's ongoing smart city initiatives and enable manufacturers to start their Industry 4.0 journey. This ought to boost the adoption of 5G in India by e-commerce, fintech, agritech, health tech, and other digital industries.
ITC Ltd’s AGM key highlight was the total FMCG portfolio’s addressable market potential of Rs. 5 lakh crore by 2030. This is the highest for any Indian FMCG company and provides a huge runway of growth for the ITC’s FMCG division.
Further, the current EBIT margins remain below its peer FMCG companies, hence, we expect significant volume growth combined with a rise in the company’s bottom line in the upcoming decade. Additionally, cigarette volumes have recovered and surpassed the pre COVID levels.
In the hotel segment, the company has launched 9 hotels recently and plans to add more properties in the coming quarters.
The paper segment is expected to gain due to the ban on plastic products and the Agri segment has a huge potential due to the current opportunity in exports and the sourcing advantages of the company.
In short, the company is firing on all cylinders, and being a cash-generating machine, it has the potential to grow both organically and inorganically.
Regarding the demerger and spinoff of hotels and the IT division, the company is open to suggestions and is constantly evaluating options to do the same. ITC Ltd. has been one of the best performers this year rising 36% compared to a negative 6% return of the Nifty 50 and has witnessed a whopping 13% return in one month.
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Source: SEBI study dated January 25, 2023 on “Analysis of Profit and Loss of Individual Traders dealing in equity Futures and Options (F&O) Segment”, wherein Aggregate Level findings are based on annual Profit/Loss incurred by individual traders in equity F&O during FY 2021-22.
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